होली के दिन शहर में निकलने वाली परंपरागत नरस‍िंह शोभायात्रा में इस बार शामिल होंगे CM योगी

होली के दिन शहर में निकलने वाली परंपरागत नरस‍िंह शोभायात्रा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस बार शामिल होंगे। होलिकोत्सव समिति के अध्यक्ष ई. अरुण प्रकाश मल्ल और मंत्री मनोज जालान से गोरखनाथ मंदिर में हुई बातचीत में मुख्यमंत्री ने उनके अनुरोध को स्वीकार करते हुए शोभायात्रा में शामिल होने की सहमति प्रदान कर दी। कोरोना संक्रमण के चलते पिछले दो वर्ष से मुख्यमंत्री इस शोभा यात्रा में शामिल नहीं हो पा रहे थे।

घंटाघर से निकलेगी शोभायात्रा

जानकारी देते हुए ई. अरुण ने बताया कि रंगभरी शोभा यात्रा 19 मार्च को सुबह 8:30 बजे घंटाघर से निकलेगी। यात्रा से पहले मुख्यमंत्री होली खेलने के लिए मौजूद जनसमूह को संबोधित भी करेंगे। गीत, प्रार्थना और भगवान नरङ्क्षसह की महाआरती के बाद शोभायात्रा का प्रस्थान होगा। यह शोभा यात्रा घंटाघर से निकलकर मदरसा चौक, लालडिग्गी, मिर्जापुर, घासीकटरा, जाफरा बाजार, चरणलाल चौक, आर्यनगर, बक्शीपुर, नखास चौक, रेती चौक होते हुए घंटाघर लौट कर सम्पन्न होगी। इस शोभा यात्रा में शामिल होने वाले लोगों को नशा करना प्रतिबंधित होगा। नीला और काला रंग का इस्तेमाल भी वर्जित होगा। ई. अरुण ने बताया कि यात्रा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और होलिकोत्सव समिति के संयुक्त तत्वावधान में निकाली जाएगी। अनुशासन का विशेष जोर रहेगा।

सम्मत की राख को उड़ाकर होती है होली की शुरूआत

होली पर गोरक्षपीठाधीश्वर के रूप में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मंदिर परिसर में साधु संतों व श्रद्धालुओं के साथ होलिका दहन के बाद राख की पूजा अर्चना करते हैं। सम्मत की राख को उड़ाकर होली की शुरूआत होती है। सम्मत की राख को माथे पर लगाकरर एकदूसरे को बधाई दी जाती है। इसके बाद परिसर में होली खेली जाती है।

गोरखनाथ मंद‍िर में भी होता है कार्यक्रम

पारंपरिक रूप से गोरखनाथ मंदिर के चबूतरे पर गोरखपीठाधीश्वर आकर बैठते हैं। आसपास के कलाकार आकर फगुआ गाते हैं। फगुआ सुनने के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ घंटाघर से निकलने वाली ऐतिहासिक भगवान नरसिंह की शोभायात्रा में शामिल होंगे। गोरक्षपीठाधीश्वर के रूप में वह महाआरती करेंगे। इसके बाद शोभायात्रा में शामिल हजारों लोगों को होली की शुभकामना देते हुए अबीर गुलाल उड़ाकर उनके साथ होली मनाएंगे। हालांकि, सुरक्षा कारणों से मुख्यमंत्री पिछली बार शोभायात्रा में केवल महाआरती करने के बाद वापस लौट गए थे।

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