भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के अध्यक्ष और टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली के नाम पर सियासत शुरू हो गई है। गांगुली को अध्यक्ष पद छोड़ने कीॉ की खबरों के बीच पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधा है। टीएमसी का कहना है कि भाजपा ने कई बार गांगुली को पार्टी में शामिल करने की कोशिश की थी। पार्टी का कहना है कि पूर्व क्रिकेटर राजनीतिक प्रतिशोध का शिकार हो गए हैं।
टीएमसी नेता डॉक्टर शांतनु सेन ने कहा, ‘अमित शाह कुछ महीनों पहले सौरव गांगुली के आवास पर गए थे। जानकारी है कि गांगुली से बार-बार भाजपा में शामिल होने के लिए संपर्क किया जा रहा था। शायद उन्होंने भाजपा में शामिल होने में सहमति नहीं जताई और वह बंगाल से हैं इसलिए वह राजनीतिक प्रतिशोध के शिकार हो गए।’ खास बात है कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह कुछ समय पहले पूर्व क्रिकेटर के घर खाने पर पहुंचे थे।
इससे पहले भी पार्टी ने भाजपा पर पूर्व क्रिकेट का ‘अपमान करने की कोशिश’ के आरोप लगाए थे। टीएमसी प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा था, ‘हम इस मामले में सीधे तौर पर कुछ नहीं कह रहे हैं। चूंकि भाजपा ने चुनाव के बाद इस तरह का प्रोपेगैंडा चला रखा है इसलिए इस तरह की अटकलों पर प्रतिक्रिया देना भाजपा की जिम्मेदारी है। ऐसा लग रहा है कि भाजपा सौरव का अपमान करने की कोशिश कर रही है।’
क्या है मामला
खबरें आई थी कि पूर्व भारतीय क्रिकेटर रॉजर बिन्नी गांगुली की जगह ले सकते हैं। बिन्नी 1983 विश्वकप विजेता टीम के सदस्य रह चुके हैं। मंगलवार को ही उन्होंने पद के लिए नामांकन दाखिल किया है। संभावनाएं जताई जा रही हैं कि वह 18 अक्टूबर में होने वाली बोर्ड की सालाना बैठक में निर्विरोध चुने जा सकते हैं।
ऐसे तेज हो रही सियासत
जैसे ही BCCI अध्यक्ष पद की दौड़ से गांगुली का नाम बाहर होने की खबरें सामने आईं, तो टीएमसी ने भाजपा को घेरना शुरू कर दिया था। सेन ने ट्वीट किया, ‘राजनीतिक प्रतिशोध का एक और उदाहरण। अमित शाह के बेटे सचिव के तौर पर बने रहे, लेकिन सौरव गांगुली नहीं। क्या इसकी वजह उनका ममता बनर्जी के राज्य से होना है या उन्होंने भाजपा ज्वाइन नहीं की इसलिए? दादा हम आपके साथ हैं।’
भाजपा का इनकार
इधर, भाजपा ने सभी आरोपों से इनकार किया है कि गांगुली क्रिकेट दिग्गज हैं और बीसीसीआई के फैसले का राजनीति से कोई लेनादेना नहीं है। भाजपा के वरिष्ठ नेता राहुल सिन्हा ने कहा, ‘यह क्रिकेट की दुनिया से जुड़ा मामला है और क्रिकेट से जुड़े लोग ही इसपर टिप्पणी कर सकते हैं। इसका राजनीति से कोई लेनादेना नहीं है। टीएमसी को भाजपा पर हमला करने के लिए कोई मुद्दा नहीं मिला और इसलिए वह इसका राजनीतिकरण कर रही है।’
भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष का कहना है, ‘हमें नहीं पता कि भाजपा ने कब गांगुली को पार्टी में शामिल करने की कोशिश की। वह क्रिकेट के दिग्गज हैं। कुछ लोग बीसीसीआई में हुए बदलाव पर मगरमच्छ के आंसू बहा रहे हैं। जब वह बीसीसीआई अध्यक्ष बने थे, तो क्या इसमें उनकी कोई भूमिका थी? टीएमसी को हर मुद्दे का राजनीतिकरण बंद करना चाहिए।’
एक साल पहले से जारी हैं अटकलें
साल 2021 से ही अटकलें जारी हैं कि भाजपा विधानसभा चुनाव से पहले गांगुली को पार्टी में लाने की कोशिश कर रही थी। जनवरी 2021 में जब गांगुली को दिल का दौरा पड़ा, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हेल्थ अपडेट लिया था और उनके जल्दी स्वस्थ होने की कामना की थी। इधर, 6 मई को शाह और प्रदेश भाजपा के कई बड़े नेता गांगुली के आवास पर पहुंचे थे।
जब ममता के साथ नजर आए गांगुली
राजनीति से दूरी बना रहे पूर्व क्रिकेटर 1 सितंबर को ममता बनर्जी के साथ मंच साझा करते नजर आए। उस दौरान वह एक सरकारी कार्यक्रम में शामिल हुए थे। खास बात है कि शाह के बेटे जय की बोर्ड सचिव के तौर पर वापसी के कारण सियासी बयानबाजी और तेज हो गई है।