जानिए क्‍यों है ये दस्‍तावेज इतना खास जिसमे जिक्र है इन देशो का

अमेरिका द्वारा जारी National Security Strategy 2022 में चीन को विश्‍व के लिए सबसे बड़ा खतरा माना गया है। वहीं रूस इसमें दूसरे नंबर पर है। ये दस्‍तावेज अमेरिका के भविष्‍य में उठाए जाने वाले कदमों का एक संकेत हो सकता है।

 अमेरिका के एक सरकारी दस्‍तावेज ने पाकिस्‍तान और चीन की धड़कनों को बढ़ाने का काम किया है। हालांकि, दोनों की वजह अलग है लेकिन परेशानी दोनों के लिए ही है। दरअसल, अमेरिका ने कुछ दिन पहले US National Security Strategy 2022 रिपोर्ट को जारी किया था। इस अहम दस्‍तावेज में चीन को अमेरिका और विश्‍व के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया गया है। इस दस्‍तावेज ने जहां अमेरिका-चीन के रिश्‍तों की खाई को बढ़ाने का काम किया है वहीं उसकी चिंता भी बढ़ा दी है।

दस्‍तावेज में चीन का जिक्र 

इसको देखते हुए भविष्‍य में अमेरिका चीन को अपने लिए बड़ा खतरा मानते हुए क्‍या कदम उठाएगा इसकी अटकलें फिलहाल लगाना मुश्किल है। पहले से दोनों के बीच कई मुद्दों पर जबरदस्‍त टकराव है जिसकी वजह से कई बार दोनों आमने-सामने आ चुके हैं। अमेरिका ने चीन पर कई तरह के प्रतिबंध भी लगाए हुए हैं। मौजूदा दस्‍तावेज इस बात की तरफ इशारा कर रहा है कि निकट भविष्‍य में दोनों देशों के बीच संबंधों के सुधरने की काफी कम है। ऐसे में ये निश्चित है कि तनाव बढ़ेगा। पूर्व राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप के कार्यकाल से अधिक हुआ है। चीन की बड़ी समस्‍या ये है कि अमेरिका उसकी वन चा‍इना पालिसी को मानता है लेकिन, ताइवान पर वो इस नीति को सिरे से खारिज कर देता है।

पाकिस्‍तान का जिक्र

इस दस्‍तावेज में पाकिस्‍तान का कहीं कोई नाम नहीं है। उसकी सबसे बड़ी समस्‍या और चिंता यही है। दरअसल, पिछले कुछ माह में जिस तरह से दोनों के बीच संबंधों में गरमाहट आई थी, उसको देखते हुए कहा जा रहा था कि दोनों के बीच हालात फिर सामान्‍य होने की तरफ आगे बढ़ रहे हैं। पाकिस्‍तान ने भी इन पर काफी बढ़चढ़कर बयान दिए थे। पाकिस्‍तान ने यहां तक कहा था कि वो अमेरिका का करीबी और अहम सहयोगी है। लेकिन, ताजा दस्‍तावेज ने इसकी पोल खोल दी है। पाकिस्‍तान को इस दस्‍तावेज में कहीं कोई सहयोगी करार नहीं दिया गया है। पाकिस्‍तान के लिए ये उसकी उम्‍मीदों पर पानी फिरने जैसा ही है। इस दस्‍तावेज से पाकिस्‍तान को लेकर जो संकेत आ रहे हैं वो कुछ वैसे ही हैं जो इस वर्ष की शुरुआत में थे।

रूस का जिक्र

इस दस्‍तावेज में रूस का भी जिक्र किया गया है। रूस को इस दस्‍तावेज में अमेरिका और विश्‍व के लिए चीन के बाद दूसरे नंबर पर सबसे बड़ा खतरा माना गया है। हालांकि, इस दस्‍तावेज से रूस पर कोई ज्‍यादा असर नहीं पड़ता है। ऐसा इसलिए क्‍योंकि दोनों के बीच अलगाव या दूरी का एक लंबा इतिहास रहा है। शीत युद्ध भले ही दशकों पहले खत्‍म हो गया हो लेकिन, हकीकत ये है कि ये अब भी जारी है। यूक्रेन पर हमले ने इसको और बढ़ाने का काम किया है। रूस को इस दस्‍तावेज में दूसरे नंबर पर रखना भी इस बात का सीधा संकेत है कि अमेरिका और रूस के रिश्‍ते पहले जैसे ही हैं।

भारत एक अहम सहयोगी

भारत की बात करें तो इस दस्‍तावेज में उसको रक्षा क्षेत्र का एक प्रमुख सहयोगी माना है। इसमें कहा गया है कि विश्‍व में खासतौर पर दक्षिण और मध्‍य एशिया में जो चुनौतियां और खतरे उत्‍पन्‍न हुए हैं उनमें भारत एक अहम सहयोगी है। पूर्व राष्‍ट्रपति बराक ओबामा के समय से भारत और अमेरिका के बीच रिश्‍तों को एक नया आयाम मिला है। बीते कुछ समय में इसमें और उछाल आया है। डोनाल्‍ड ट्रंप के बाद मौजूदा राष्‍ट्रपति जो बाइडन ने भी इसको आगे बढ़ाया है। भारत को इस तरह से इस दस्‍तावेज में अहम स्‍थान देना भी चीन और पाकिस्‍तान के लिए बड़ी च‍िंता की वजह बन गया है।

क्‍यों होता है ये दस्‍तावेज इतना खास

गौरतलब है कि अमेरिका हर वर्ष इस दस्‍तावेज को जारी करता है। इस दस्‍तावेज में अमेरिका और विश्‍व के सामने बड़ी चुनौतियां, खतरों और इससे निपटने के लिए भावी रणनीति के अलावा इसके लिए उसके साझेदारों का भी विस्‍तार से जिक्र किया जाता है। इसमें विश्‍व में अमेरिका के साझेदारों की भूमिका भी स्‍पष्‍ट की जाती है। इस लिहाज से ये दस्‍तावेज काफी अहम माना जाता है।  

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