रिम्स के कैदी वार्ड से उग्रवादी समेत दो कैदी शनिवार देर रात करीब 12 बजे खिड़की की ग्रिल व गेट का ताला तोड़कर फरार हो गए। इनमें हजारीबाग केंद्रीय कारागार से इलाज के लिए भेजा गया मो. मशरूर आलम खान व गुमला से आया अमित उरांव उर्फ भगत शामिल हैं। दोनों बीमारी होने पर रिम्स में भर्ती किए गए थे। इनका इलाज यूरोलॉजी विभाग के डॉक्टरों की देखरेख में हो रहा था। हैरानी की बात है कि सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों को इसकी भनक तक नहीं लगी।
घटना का पता चलने पर रविवार को बरियातू थाना पुलिस पहुंची और सीसीटीवी फुटेज के आधार पर जांच शुरू की। लेकिन कुछ पता नहीं चला। एसएसपी किशोर कौशल ने गुमला व हजारीबाग एसपी को जानकारी देकर लापरवाही बरतने वाले दारोगा नवीन कुमार व हवलदार कोरिलियुस बिलुंग से स्पष्टीकरण मांगा है। सदर डीएसपी प्रभात रंजन बरवार ने रविवार को अद्यतन जांच रिपोर्ट सौंप दिया है।
महिला सिपाही भी दूसरी जगह रह रहीं
रिम्स में कैदी वार्ड की दो महिला कैदियों का इलाज मेडिसिन आईसीयू में हो रहा है। इसमें भर्ती दोनों मरीजों के लिए जिन महिला सिपाहियों की तैनाती की गई है, वह मेडिसिन आईसीयू में नहीं रहकर कैदी वार्ड में ही रह रही हैं।
एक गेट और खिड़की काटकर दोनों फरार
उग्रवादी अमित उरांव और मशरूर आलम खान ने योजनाबद्ध तरीके से कैदी वार्ड से भाग निकलने में कामयाब रहे। दोनों ने पूर्व से तय योजना के मुताबिक पहले एक गेट का ताला तोड़ा और फिर खिड़की की जाली को काट डाला। इसकी भनक वहां सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों को भी नहीं लगी।
अमित को हायर सेंटर के लिए किया गया था रेफर
उग्रवादी अमित करीब तीन माह से रिम्स में इलाजरत था। गुमला पुलिस ने 26 दिसंबर 2020 को उसे जेल भेजा था। लोहरदगा जिले के सेन्हा थाना क्षेत्र स्थित गुड़गांव निवासी अमित उरांव को तबीयत खराब होने के बाद जेल से पिछले 19 जुलाई को गुमला सदर अस्पताल से बेहतर इलाज के लिए राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स भेजा गया था। अमित उरांव भी यूरोलॉजी विभाग के चिकित्सक की देखरेख में इलाजरत था। चिकित्सकों ने एक तारीख को ही हायर सेंटर के लिए रेफर कर दिया था। वहीं, छेड़खानी के आरोपी इलाजरत कैदी मशरूर आलम खान पिछले अगस्त से ही रिम्स के यूरोलॉजी विभाग में इलाजरत था।
डेढ़ साल से खिड़की-जाली की मरम्मत की हो रही है मांग
रिम्स के कैदी वार्ड की खिड़की और जाली की मरम्मत की मांग करीब डेढ़ साल से अधिक समय से प्रबंधन से की जा रही है। इस संबंध में कई बार पत्राचार भी हुआ था। इसके बाद भी रिम्स प्रबंधन सजग नहीं हुआ और एक बार फिर दो मरीज बंदी फरार हो गए। बताया गया कि कैदी वार्ड में कई तरह की बुनियादी परेशानी है। जिसको लेकर समय-समय पर कैदी हंगामा करते रहते हैं।