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सूखी खांसी से निजात पाने के लिए इन 4 आयुर्वेदिक नुस्खों से करें इस्तेमाल

 बदलता मौसम अपने साथ कई तरह की बीमारियां सौगात में लाता है। जैसे-जैसे मौसम बदलता है वैसे-वैसे वायरल फीवर, खांसी-जुकाम, सिर दर्द की समस्या जोर पकड़ लेती है। जिन लोगों की इम्यूनिटी कमजोर है उन्हें यह परेशानी ज्यादा होती है। दवा करने पर सर्दी और बुखार से निजात मिल जाती है, लेकिन खांसी कई दिनों तक पीछा नहीं छोड़ती। ज्यादातर लोग सूखी खांसी से परेशान रहते हैं, जिसकी वजह से खांसते-खांसते गला सूख जाता है और सीने में दर्द होने लगता है। कई बार खांसते-खांसते गले में घाव तक हो जाता है। आप भी बदलते मौसम में होने वाली सूखी खांसी से परेशान हैं तो हम आपको कुछ आयुर्वेदिक असरदार नुस्खों के बारे में बताते हैं जिन्हें अपना कर आप जल्द ही सूखी खांसी से निजात पा सकते है।

सूखी खांसी का आयुर्वेदिक उपचार

अनार के छिलके और शहद का करें सेवन:

सूखी खांसी से परेशान हैं तो अनार के छिलके का प्रयोग शहद के साथ करें। सबसे पहले अनार के छिलकों को दो-तीन दिन तक धूप में सूखाएं। जब छिलकों की सारी नमी चली जाए तो इसे शहद से भरे जार में डाल दें। जब आपको सूखी खांसी सताए तब शहद में भीगे हुए अनार के छिलके को मुंह में रखकर चूसें। याद रखें कि छिलके को निगले नहीं। आपको खांसी से जल्द राहत मिलेगी।

कैंडीज से करें सूखी खांसी का इलाज:

अगर आपको बार-बार सूखी खांसी परेशान कर रही है तो आप घर में आयुर्वेदिक कैंडी बनाएं और उसका सेवन करें। कैंडी बनाने के लिए अदरक, सौंफ, पुदीने के ताजे पत्ते लें और उन्हें बारीक पीसकर पेस्ट बना लें। इसके अलावा थोड़ा सा मिश्री का पाउडर बना लें। इस पेस्ट की छोटी-छोटी गोलियां बना लें और इसमें ऊपर से मिश्री का पाउडर कोर्ट करें। इन गोलियों को थोड़ी देर सूखने दें और किसी जार में स्टोर करें। जब भी आपको खांसी परेशान करें तो इन गोलियों का सेवन करें।

मुलेठी और सौंफ का चूर्ण इस्तेमाल करें:

रात को सूखी खांसी बेहद परेशान करती है तो मुलेठी, सौंफ और मिश्री का चूर्ण बनाकर खाएं। मुलेठी सौंफ और मिश्री को बराबर मात्रा में लेकर बारीक पाउडर बना लें। इस चूर्ण को रोज रात सोने से पहले शुद्ध शहद के साथ खाएं आपको फायदा मिलेगा।

पुदीने के पत्तों से करें उपचार:

सूखी खांसी में पुदीने के पत्ते बेहद असरदार होते हैं। यदि आप बिना दर्द के खांसी का अनुभव करते हैं तो आप कुछ पुदीने के पत्ते लेकर उन्हें मुंह में रखें। याद रखें कि यह पत्ते सिर्फ चूसने है चबाना नहीं है।

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