हिमाचल प्रदेश की पहाड़ियों पर बर्फबारी के बीच शनिवार तड़के 8 मिनट के भीतर भूकंप के दो झटके महसूस किए गए। भूकंप का केंद्र कांगड़ा के जिला मुख्यालय धर्मशाला की धौलाधार पहाड़ियों के पास रहा। भूकंप के झटके चम्बा जिला के सीमावर्ती गांवों में भी महसूस हुए। दो बार भूकंप के झटकों से लोग सहम गए और कांगड़ा व चम्बा जिला के निवासियों में 118 साल पहले आए विनाशकारी भूकंप की यादें ताजा होने लगीं।
मौसम विज्ञान केंद्र शिमला द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक, भूकंप का पहला झटका सुबह 5 बजकर 10 मिनट पर महसूस हुआ। भूकंप का केंद्र धर्मशाला की धौलाधार की पहाड़ियों के नीचे कांगड़ा और चम्बा जिला के सीमावर्ती क्षेत्र आरएफ अंद्राला ग्रोन में जमीन की सतह से 05 किलोमीटर नीचे रहा। भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 2.8 मापी गई। इसके कुछ मिनट बाद 05 बजकर 17 मिनट पर दूसरा झटका लगा, जिसकी तीव्रता पहले भूकंप से ज्यादा 3.2 रही। भूकंप का केंद्र धर्मशाला की धौलाधार पहाड़ियों स्थित धार शरौर क्षेत्र में जमीन की सतह से 05 किलोमीटर की गहराई पर था।
राज्य आपदा प्रबंधन प्रकोष्ठ के निदेशक सुदेश मोकटा ने बताया कि भूकंप की तीव्रता कम होने की वजह से कहीं से जानी नुकसान की सूचना नहीं मिली है।
बता दें कि, हिमाचल प्रदेश में पिछले एक महीने के भीतर 08 बार भूकंप के झटके लग चुके हैं। हालांकि हर बार भूकंप की तीव्रता कम रहने से जान-माल का नुकसान नहीं हुआ है। 04 दिन पहले मंडी जिला के सुंदरनगर में 2.5 की तीव्रता का भूकंप आया था। इससे पूर्व 03 जनवरी को सोलन जिला में 2.7 तीव्रता के भूकंप के झटके लगे थे। जबकि 31 दिसंबर को मंडी जिला में भी इतनी ही तीव्रता का भूकंप आया था। 26 दिसंबर को कांगड़ा, 21 दिसंबर को लाहौल-स्पीति और 16 दिसंबर को किन्नौर जिला में भूकंप के झटके लग चुके हैं।
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा, चम्बा, मंडी, शिमला, किन्नौर और लाहौल-स्पीति जिले भूकंप की दृष्टि से अति संवेदनशील सिस्मिक जोन-05 में आते हैं और इन जिलों में भूकंप से बड़े खतरे का हर समय भय बना रहता है। हिमाचल प्रदेश वर्ष 1905 में विनाशकारी भूकंप का दंश झेल चुका है। तब कांगड़ा और चम्बा जिलों में आये उच्च तीव्रता के भूकंप में 10 हज़ार से अधिक लोग मारे गए थे।