मकर संक्राति के त्योहार को पूरे भारत में सेलिब्रेट किया जाता है। हालांकि, हर जगह इसको एक अलग नाम से जाना जाता है। हालांकि हर तरफ इस त्योहार को मनाने के पीछे एक ही महत्व है। जहां कहीं पर तिल-गुड़ खिलाकर इस त्योहार की बधाई दी जाती है तो वहीं कुछ जगहों पर खिचड़ी खाई जाती है। बात करें बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे शहरों की तो यहां पर दही-चूड़ा खाने की परंपरा है। खास दिन पर इस डिश को खाने की परंपरा सदियों पुरानी है। ऐसे में हम यहां बता रहे हैं इसे खाने की वजह और इसके कुछ शानदार फायदे-
क्यों खाया जाता है दही चूड़ा
मकर संक्रांति के दिन दही चूड़ा के साथ तिलकुट और खिचड़ी मुख्य भोजन माना जाता है। दही-चूड़ा खाने के पीछे धार्मिक वजह की बात करें तो इसे खाना शुभ माना जाता है। कहते हैं कि ऐसा करने पर सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस दिन दही चूड़ा और खिचड़ी का दान भी शुभ माना जाता है। यूपी और बिहार में संक्रांति के दिन दही चूड़ा का भोग लगाया जाता है और माना जाता है कि ऐसा करने पर सूर्य देवता आशीर्वाद देते हैं। मान्यता है कि इससे रिश्तों में मजबूती आती है।
दही-चूड़ा खाने का वैज्ञानिक महत्व भी है। दही-चूड़ा पाचन तंत्र के लिए अच्छा होता है। कहते हैं कि चूड़ा में फाइबर की मात्रा ज्यादा होती है जो पाचन के लिए बहुत अच्छी होती है।
क्या हैं दही चूड़ा खाने के फायदे
1) पचाने में आसान
चूड़ी पेट भरता है लेकिन इसी के साथ ये पचाने में आसान होता है। नाश्ते में जब दही का सेवन किया जाता है, तो यह न केवल आपको ज्यादा समय तक भरा रखता है, बल्कि पाचन को आसान बनाता है, और यह तुरंत एनर्जी भी देता है।
2) वेट लॉस फ्रेंडली
जो लोग अपने नाश्ते में हाई एनर्जी लेकिन कम कैलोरी खाना चाहते हैं, उनके लिए यह हेल्दी ऑप्शन है। एक्सपर्ट्स की मानें तो दही के साथ एक कटोरी पोहा में जरूरी पोषक तत्व होते हैं जिसमें सिर्फ 300 कैलोरी होती हैं।
3) पेट खराब होने पर फायदेमंद
यह पेट की खराबी से उबरने में मदद करता है। बिहार और यूपी में अक्सर लूज मोशन को नियंत्रित करने के लिए दी जाने वाली ये पहली डिश है। हल्की और आसानी से पचने वाली, यह डिश पाचन तंत्र को शांत करती है और आंत को ठंडा करती है।
4) आयरन से भरपूर
यह सुझाव दिया जाता है कि गर्भवती महिलाओं को इस कॉम्बो का सेवन करना चाहिए क्योंकि इसमें आयरन की भरपूर मात्रा होती है।