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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने नागपुर में की शस्त्र पूजा और स्वयं सेवकों को किया संबोधित

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत (RSS Chief Mohan Bhagwat) ने आरएसएस के 96वें स्थापना दिवस पर शुक्रवार को नागपुर में शस्त्र पूजा की और स्वयं सेवकों को संबोधित किया. इस कार्यक्रम में इजरायली महावाणिज्यदूत कोबी शोशानी (Consulate General of Israel Kobbi Shoshani) भी मौजूद रहे. बता दें कि हिंदी तिथि के मुताबिक विजयादशमी (Vijaydashmi) के दिन ही साल 1925 में आरएसएस (RSS) की स्थापना हुई थी.

विभाजन का दर्द अब तक नहीं गया: मोहन भागवत

स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने कहा, ‘जिस दिन हम स्वतंत्र हुए उस दिन स्वतंत्रता के आनंद के साथ हमने एक अत्यंत दुर्धर वेदना भी अपने मन में अनुभव की वो दर्द अभी तक गया नहीं है. अपने देश का विभाजन हुआ, अत्यंत दुखद इतिहास है वो, परन्तु उस इतिहास के सत्य का सामना करना चाहिए, उसे जानना चाहिए.’

शत्रुता और अलगाव को दोहराना नहीं चाहिए: आरएसएस प्रमुख

मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने आगे कहा, ‘जिस शत्रुता और अलगाव के कारण विभाजन हुआ उसकी पुनरावृत्ति (Repetition) नहीं करनी है. पुनरावृत्ति टालने के लिए, खोई हुई हमारे अखंडता और एकात्मता को वापस लाने के लिए उस इतिहास को सबको जानना चाहिए. खासकर नई पीढ़ी को जानना चाहिए. खोया हुआ वापस आ सके खोए हुए बिछड़े हुए वापस गले लगा सकें.’

आरएसस प्रमुख ने कहा, ‘विश्व को खोया हुआ संतुलन और परस्पर मैत्री की भावना देने वाला धर्म का प्रभाव ही भारत को प्रभावी करता है. यह ना हो पाए इसीलिए भारत की जनता, इतिहास, संस्कृति इन सबके विरुद्ध असत्य कुत्सित प्रचार करते हुए, विश्व को और भारत के जनों को भी भ्रमित करने का काम चल रहा है.’

‘जनसंख्या नियंत्रण पर फिर किया जाना चाहिए विचार’

मोहन भागवत ने कहा, ‘जनसंख्या नीति पर एक बार फिर से विचार किया जाना चाहिए. 50 साल आगे तक का विचार कर नीति बनानी चाहिए और उस नीति को सभी पर समान रूप से लागू करना चाहिए, जनसंख्या का असंतुलन देश और दुनिया में एक समस्या बन रही है.’

‘अवैध घुसपैठ पर पूर्ण रूप से अंकुश लगाया जाएं’

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने कहा, ‘सीमा पार से अवैध घुसपैठ पर पूर्ण रूप से अंकुश लगाया जाए. राष्ट्रीय नागरिक पत्रिका का निर्माण कर इन घुसपैठियों को नागरिकता के अधिकारों से वंचित किया जाए.

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