Site icon UP Digital Diary

इस साल 19 अक्टूबर को मनाई जाएगी शरद पूर्णिमा, जानिए पूजन विधि और मंत्र

हिंदू धर्म में सभी पूर्णिमा तिथियों में शरद पूर्णिमा का विशेष स्थान है। शरद पूर्णिमा को कौमुदी उत्संव, कुमार उत्सव, शरदोत्सव, रासपूर्णिमा, कोजागरी पूर्णिमा एवं कमला पूर्णिमा आदि के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन से शरद ऋतु का आगमन होता है। चंद्रमा अपनी पूर्ण कला में इस रात्रि अमृत की वर्षा करता है। साथ ही इस दिन मां लक्ष्मी धरती का भ्रमण करती हैं। जिस घर में मां लक्ष्मी का जागरण और पूजन होता है, उस घर में प्रवेश कर धन-धान्य से परिपूर्ण कर देती हैं। इस साल शरद पूर्णिमा 19 अक्टूबर, दिन मंगलवार को मनाई जाएगी। आइए जानते हैं शरद पूर्णिमा की पूजन विधि और मां लक्ष्मी के मंत्र…..

शरद पूर्णिमा की पूजन विधि

अश्विन मास की पूर्णिमा तिथि के दिन शरद पूर्णिमा का पूजन किया जाता है। शरद पूर्णिमा पर विशेष रूप से चंद्रमा और मां लक्ष्मी के पूजन का विधान है। इस दिन प्रातः काल में स्नान कर, व्रत का संकल्प लेना चाहिए। दिन भर फलाहार व्रत रखने के बाद चंद्रोदय काल में पूजन किया जाता है। सबसे पहले एक चौकी पर लाल रंग का आसन बिछा कर मां लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए। मां लक्ष्मी को धूप, दीप, गंगाजल आर्पित कर उनका आवाहन करें। इसके बाद उन्हें रोली, लाल या गुलाबी रंग के फूल, वस्त्र, नैवेद्य आदि चढ़ाएं। व्रत कथा और मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करना चाहिए। मां लक्ष्मी के सामने शुद्ध घी या तिल के तेल के 11 दीपक जलाएं और रात्रि जागरण करें। शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा को अर्घ्य दे कर खीर का भोग लगाया जाता है। रात भर चंद्रमा की रोशनी में रखी खीर को सुबह प्रसाद के रूप में ग्रहण करें। ये आरोग्य और सुख-समृद्धि प्रदान करती है।

शरद पूर्णिमा के पूजन मंत्र

1-ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नम:।।

2- ॐ श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।।

3- ॐ ह्रीं श्री क्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूरये, धन पूरये, चिंताएं दूरये-दूरये स्वाहा:।

Exit mobile version