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चौबेपुर थाना क्षेत्र में पुलिस की मौजूदगी में बुजुर्ग की फरसे से काटकर हत्या की घटना को लेकर ग्रामीणों में आक्रोश…

चौबेपुर के पनऊपुरवा गांव में पंचायत चुनाव की रंजिश में सोमवार की रात पुलिस की मौजूदगी में बुजुर्ग की हत्या को लेकर ग्रामीणों में आक्रोश बना हुआ है। बुधवार को अंतिम संस्कार के लिए स्वजन और ग्रामीणों ने चार घंटे तक शव नहीं उठाने दिया और पुलिस के खिलाफ नारेबाजी की। हालांकि विधायक और एडीएम के आश्वासन पर स्वजन और ग्रामीणों ने शव को कंधा देकर अंतिम संस्कार के लिए ले गए हैं। इससे पहले विधायक के धरने पर बैठने के बाद पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया था, वहीं गांव में तनाव के हालात बने हुए हैं और पुलिस फोर्स तैनात की गई है। एडीजे ने आईजी को जांच सौपी है और दो दरोगा समेत 4 को लाइन हाजिर किया गया है।

पुलिस के सामने हुई थी बुजुर्ग की हत्या

पनऊपुरवा गांव में पंचायत चुनाव में पनपी रंजिश का अंजाम सोमवार रात खूनी संघर्ष तक पहुंच गया था। एक पक्ष ने दूसरे के घर पर धावा बोल दिया था और बुजुर्ग आनंद कुरील को बेरहमी से पीटने के बाद फरसे से हमलाकर मरणासन्न कर दिया था। घटना में पुलिस की भूमिका सवालों के घेरे में है। कहा जा रहा कि बुजुर्ग की पिटाई के समय पुलिस मौजूद थी और तमाशबीन बनी रही। बाद में बचाव करने आए पड़ोसियों को पुलिस पीटते हुए गाड़ी में डालकर ले गई। मरणासन्न बुजुर्ग को डेढ़ घंटे बाद अस्पताल पहुंचाने की कवायद शुरू की तबतक उनकी मौत हो चुकी थी।

विधायक धरने पर बैठे तब दर्ज हुआ मुकदमा

घटना के बाद गांव पहुंचे भाजपा विधायक भगवती प्रसाद सागर की पुलिस से तीखी बहस हुई थी। इसपर विधायक धरने पर बैठ गए थे, मामले ने तूल पकड़ा तो अफसरों ने आनन फानन दो दारोगा और दो सिपाहियों को लाइन हाजिर करते मामले में मुकदमा दर्ज कराया था। आरोप है कि बीट के दो दारोगा और सिपाहियोंं की मौजूदगी में वारदात की हुई और इसमें ग्राम प्रधान का हाथ है। तहरीर पर दोनों दारोगा और मुख्य आरोपित समेत नौ नामजद, अज्ञात सिपाहियों और चार अज्ञात लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया है। एडीजी जोन भानु भास्कर ने आइजी रेंज मोहित अग्रवाल को जांच सौंप कर तीन दिन में रिपोर्ट मांगी है।

घटना के पीछे बताई ये वजह

पनऊपुरवा गांव में प्रधान के समर्थक श्रीकृष्ण त्रिवेदी की घर के सामने रहने वाले 60 वर्षीय आनंद से प्रधानी के चुनाव से ही रंजिश चल रही थी। आनंद की बहू संदीपा ने तहरीर में बताया कि जून में भी आरोपितों ने पुलिस के साथ मिलकर घर आकर मारपीट की थी। इसका मुकदमा पुलिस ने रफा-दफा कर दिया था। इसके बाद हाईकोर्ट में गुहार लगाई थी। तब से आरोपित समझौते का दबाव बना रहे थे। सोमवार रात 10 बजे प्रधान मनीष दीक्षित और उसके पिता रामकुमार की पूर्व योजना के तहत श्रीकृष्ण अपने पुत्रों और भतीजे के साथ ही चार अज्ञात लोगों के साथ घर में घुस आए। घर के बाहर जीप के साथ पुलिस वाले भी खड़े थे। आरोपितों ने धारदार हथियार और लाठी से हमला कर दिया। ससुर आनंद को जमीन पर गिराकर पीटा और फरसे से वार किया। पुलिस ने दोनों दारोगा शेर बहादुर, गोपी किशन, अज्ञात सिपाही, श्रीकृष्ण, उसके पुत्रों राजन, शोभित, गोविंद, भतीजे सुधीर और चार अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है।

गांव में तनाव और नहीं उठाने दिया शव

घटना के बाद से गांव में तनाव व्याप्त हो गया है। बुधवार की सुबह क्षेत्रीय विधायक भगवती सागर और प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे तो बेटे अमित व रविशंकर ने परिवार के एक सदस्य को नौकरी व मुआवजे की मांग रखी। इसपर आश्वासन न मिलने से स्वजन व ग्रामीण उग्र होकर पुलिस के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। विधायक ने डीएम को फोन करके पीड़ित परिवार को मुआवजा और नौकरी दिलाने तथा मुख्यमंत्री राहत सहायता से धनराशि दिलाने का आश्वासन दिया। एडीएम वित्त दया नंद ने परिवार को लिखित आश्वासन पत्र सौंपा। इसके बाद स्वजन शव को अंतिम संस्कार करने के लिए ले गए।

कांग्रेसी व भीम आर्मी का हंगामा

पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे कांग्रेस और भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं ने पुलिस की संलिप्तता को लेकर हंगामा किया। कार्यकर्ताओं ने कहा कि दोषी पुलिस कर्मी निलंबित होने चाहिए और सरकार दलितों का उत्पीड़न कर रही है। पुलिस अधिकारी अपने मातहतों को बचा रहे हैं।

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