आपदाग्रस्त गांवों के 225 परिवार संवेदनशील श्रेणी में, इन परिवारों की सुरक्षा एक बड़ा सवाल..

उत्तराखंड में मानसून सक्रिय है। हिमालयी गांवों में रात में वर्षा हो रही है। प्राकृतिक आपदा से जूझ रहे 25 गांवों के 683 लोग रातभर आसमान ताक रहे हैं। जिसमें अत्यधिक संवेदनशील 126 परिवार भी शामिल हैं। जबकि अधिक संवेदनशील श्रेणी में छह परिवारों को रखा गया है। 225 परिवार संवेदनशील श्रेणी में हैं। इन परिवारों की सुरक्षा एक बड़ा सवाल है।

 मानसून सत्र हिमालयी गांवों के लिए आफत बनकर आता है। लगभग तीन माह सड़क, रास्ते, बिजली, पानी, संचार का संकट बना रहता है। आपदाग्रस्त गांवों का हाल सबसे बुरा है। वहां लोग रात को जागकर आसमान ताकते हैं। वर्षा होते ही सिहर उठते हैं। हालांकि आपदाग्रस्त 25 गांवों के 683 परिवारों की सूची जिला प्रशासन ने तैयार की है। लेकिन उनके पुनर्वास को लेकर अब तक ऐतिहासिक कदम नहीं उठ सके हैं।

मानसून सक्रिय है। हिमालयी गांवों में रात में वर्षा हो रही है। प्राकृतिक आपदा से जूझ रहे 25 गांवों के 683 लोग रातभर आसमान ताक रहे हैं। जिसमें अत्यधिक संवेदनशील 126 परिवार भी शामिल हैं। जबकि अधिक संवेदनशील श्रेणी में छह परिवारों को रखा गया है। 225 परिवार संवेदनशील श्रेणी में हैं। चार परिवारों के लिए चयनित भूमि का भूगर्भीय सर्वेक्षण हो सका है। ऐसे में वर्षाकाल के दौरान ग्रामीणों की सुरक्षा व्यवस्था भगवान भरोसे चल रही है।

भगवान भरोसे हैं इन परिवारों की सुरक्षा

मंडरा रहा भूस्खलन का खतरा

दुग नाकुरी के जारती गांव के 10 परिवारों को भूस्खलन का खतरा बना रहता है। जिसमें सेरी गांव के चार परिवारों के लिए चयनित भूमि का भूगर्भीय सर्वेक्षण हो सका है।इसमें से संवेदनशील 126 परिवार है और अधिक संवेदनशील श्रेणी में छह परिवार शामिल हैं। इन परिवारों की सुरक्षा एक बड़ा सवाल है। 

आपदाग्रस्त गांवों पर प्रशासन की नजर

आपदाग्रस्त गांवों पर प्रशासन की नजर है। शासन को पुनर्वास के लिए पत्र भेजा है। भूमि चयन को लेकर प्रशासन संवेदनशील है। हालांकि आपदा प्रभावित गांवों का आंशिक भाग ही भूस्खलन से प्रभावित हैं। – अनुराधा पाल, जिलाधिकारी, बागेश्वर

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