उत्तर प्रदेश : दीपावली में गुड़ की मिठाई से करें मुंह मीठा

दीवाली स्पेशल 2023 : इस बार आप मिलावटी मिठाइयों के बजाय गुड़ से बनी जैविक मिठाई से मुहं मीठा कर सकते हैं। मेरठ में गुड़ से बनी मिठाइयों के ढेरों वैराइटी बनकर तैयार की जा रही हैं। जिनकी विदेशों तक भी खूब डिमांड है।

इस दीपावली गुड़ से बनी खास मिठाइयों से मुंह मीठा करके खुशियां बांटिए। बाजार मेंं गन्ने के रस से गुड़ की एक दर्जन से अधिक वैराइटी की मिठाइयां उपलब्ध हैं। इन मिठाइयों की मांग विदेशों तक भी है। इससे इस कारोबार से जुड़े किसानों की आय में भी इजाफा हो रहा है।पश्चिम उप्र में मेरठ, गाजियाबाद, बुलंदशहर, हापुड़, बिजनौर, मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, बागपत, शामली, सहारनपुर समेत कई जनपदों को गन्ने की बेल्ट है। यहां तमाम किसान कोल्हू पर गन्ने के रास से गुड़ बनाने के कारोबार से जुड़े हैं।

आलम यह है कि मुजफ्फरनगर तो देश में गुड़ की सबसे बड़ी मंडी के रूप में उभरकर सामने आया है। मेरठ में भी 100 से अधिक पावर कोल्हू संचालित हैं। जिसमें रोजाना सैंकड़ों मीट्रिक टन गुड़ तैयार किया जाता है। अब किसानों ने इस कारोबार को नया आयाम दिया हैं। गुड़ की तमाम वैराइटी की मिठाइयां बनाकर बेचनी शुरू की हैं।

स्वाद के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होने के चलते इन मिठाइयों की मांग भी हर साल बढ़ रही हैं। इसके अलावा जैविक खेती से उत्पादित गन्ने के रस से अलग अलग क्षेत्रों में अलग अलग वैरायटी तैयार की जाती हैं। खरखौदा में कोल्हुओं पर गन्ने के रास से गुड़ की पेड़ी बनायी जा रही हैं। किला परीक्षितगढ़ और सरधना क्षेत्र में गुड़ की पांच किलो चकौर और बाल्टी तैयार होती है।

बाजार में उपलब्ध गुड़ की मिठाइयां

जैविक विधि से तैयार गन्ने के रस से तैयार गुड़ की मिठाई और रेट
लौकी,गाजर, पतीता से तैयार गुड़ बरफी – 150 रु. किलो,

अजवायन, सोंठ, इलायची युक्त गुड़ बरफी- 150 रु. किलो,

मेवा, मूंगफली युक्त गुड़ – 150 रु. किलो,

सिरका – 100 रु. किलो,

रासायनिक खाद से तैयार गन्ने के रस से बना गुड़ थोक भाव

पेड़ी – 35 रु. किलो,

बाल्टी गुड़ – 31 रु. किलो,

खुरपेपाड़ – 31 रु. किलो,

पांच किलो का पंसेरा – 30 रु. किलो,

जैविक विधि से गन्ना व अन्य सब्जियों को तैयार करके लगभग 20 फ्लेवर के साथ गुड़ तैयार किया जाता है। विदेशों में रहने वाले अधिकतर एनआरआई परिवारों के दिल पर यह गुड़ राज कर रहा है। दीपावली पर इस गुड़ की मांग स्थानीय लोगों में भी बढ़ जाती है। – सुनील कुमार फौजी, भामोरी।

खेती कम होती चली गई। तो हमने कोल्हू लगा लिया। इस समय हमारे दो कोल्हू चल रहे हैं। हमारे यहां तैयार हो रहे गुड़ यानी पेड़ी हापुड़ मंडी में नाम से बिकती है। व्यापारी पेड़ी को उप्र के एटा मैनपुरी, समेत कई जिले और गुजरात, मध्यप्रदेश, राजस्थान ही नहीं बल्कि विदेशों में भी सप्लाई कर रहे हैं। लीलू प्रजापति, पांची।

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