आषाढ़ माह में ऐसे दें भगवान सूर्य को अर्घ्य, पितृ होंगे प्रसन्न

हिंदू कैलेंडर के प्रत्येक महीने का खास महत्व है। जल्द ही आषाढ़ मास की शुरुआत होने वाली है। इस दौरान कई पर्व मनाए जाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, आषाढ़ माह भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित है। इसके अलावा यह माह भगवान सूर्य की पूजा और अर्घ्य के लिए भी बहुत खास होता है। ऐसा कहा जाता है कि इस माह (Ashadha Month 2024) उन्हें विधि अनुसार अर्घ्य देने से जीवन में खुशहाली आती है। साथ ही मान-सम्मान की प्राप्ति होती है।

आषाढ़ माह सूर्य अर्घ्य विधि
ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। एक तांबे के लोटे में जल के साथ लाल फूल, चावल, अक्षत, कुमकुम, हल्दी, गुड़, काले तिल आदि चीजें मिलाएं। इसके बाद एक पवित्र लाल आसन पर खड़े होकर भगवान सूर्य को जल चढ़ाएं। फिर उनके वैदिक मंत्रों का जाप करें। सूर्यदेव स्तोत्र व सूर्यदेव चालीसा का पाठ भी कर सकते हैं। धूप, दीप और कपूर से सूर्य देव की भाव के साथ आरती करें। सूर्य भगवान को नारियल, फल, मिठाई आदि का भोग लगाएं।

पूजा में हुई गलतियों के लिए क्षमा मांगे, जो लोग भगवान सूर्य की नियम अनुसार पूजा करते हैं उन्हें सात्विक आहार ग्रहण करना चाहिए। अर्घ्य देते समय सिर से लोटा नीचें रखना चाहिए। उगते सूरज को ही जल चढ़ाना चाहिए। इसके अलावा अर्घ्य का पानी पैरों में नहीं पड़ना चाहिए। बता दें, इस माह काले तिल डालकर जल देने से पितृ प्रसन्न होते हैं।

सूर्य अर्घ्य मंत्र

ॐ घृणिं सूर्य्य: आदित्य:

एहि सूर्य! सहस्त्रांशो! तेजो राशे! जगत्पते!

अनुकम्प्यं मां भक्त्या गृहाणार्घ्य दिवाकर!

ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:

Exit mobile version