मेरठ के विकास भवन सभागार में आज एक महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें उत्तर प्रदेश के वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के स्वतंत्र प्रभार मंत्री डॉ. अरुण कुमार की अध्यक्षता में दिल्ली-एनसीआर से जुड़े मेरठ, बागपत, मुजफ्फरनगर और शामली जिलों में बढ़ते वायु प्रदूषण को रोकने के लिए चल रहे प्रयासों का आकलन किया गया। बैठक का प्रमुख उद्देश्य राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में प्रदूषण के बढ़ते स्तर को नियंत्रित करने के लिए लागू किए गए ‘ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान’ (GRAP) की प्रभावशीलता को मापना और आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करना था।
इलेक्ट्रिक वाहनों से यात्रा, किसानों के लिए जागरूकता अभियान
मंत्री डॉ. अरुण कुमार ने सर्किट हाउस से विकास भवन तक की यात्रा इलेक्ट्रिक वाहन से की, ताकि जनता में पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाई जा सके। बैठक के बाद, उन्होंने किसानों को फसल अवशेष न जलाने के महत्व को समझाने के लिए जागरूकता अभियान की शुरुआत की। किसानों में जागरूकता फैलाने के लिए प्रचार वाहन को हरी झंडी दिखाते हुए मंत्री ने बताया कि फसल अवशेष जलाने से उत्पन्न धुएं से न केवल वायु प्रदूषण बढ़ता है बल्कि इससे सांस, आंख और त्वचा संबंधी बीमारियों का खतरा भी बढ़ता है
वायु गुणवत्ता बनाए रखने के लिए दिए गए निर्देश
मंत्री ने चारों जिलों के अधिकारियों को एनसीआर क्षेत्र में वायु गुणवत्ता बनाए रखने हेतु कई अहम निर्देश दिए:
- सड़क पर धूल नियंत्रण: सभी शहरी क्षेत्रों में धूल को नियंत्रित करने के लिए नियमित पानी का छिड़काव और सड़क की मशीनों द्वारा सफाई सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया। इसके साथ ही, निर्माण स्थलों पर एंटी-स्मॉग गन का उपयोग अनिवार्य किया गया।
- पुराने वाहनों पर रोक: दिल्ली-एनसीआर के पर्यावरणीय गुणवत्ता मानकों के तहत, 10 और 15 साल से अधिक पुराने डीजल और पेट्रोल वाहनों का संचालन बंद करने के आदेश दिए गए। इस संदर्भ में पुलिस विभाग को निर्देशित किया गया कि वे खुले सामान ढोने वाले वाहनों पर कड़ी निगरानी रखें, जिससे प्रदूषण पर नियंत्रण पाया जा सके।
- कृषि अवशेष प्रबंधन: मंत्री ने कृषि विभाग को निर्देश दिए कि वे फसल कटाई के बाद अवशेषों के निस्तारण के लिए किसानों को अधिकाधिक जागरूक करें, ताकि खेतों में पराली जलाने की घटना को रोका जा सके। इस अभियान के तहत किसानों को पराली न जलाने से होने वाले लाभ और उनके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में भी बताया गया।
संबंधित विभागों से कार्यवाही की जानकारी और अन्य निर्देश
बैठक में, अपर मुख्य सचिव, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के अधिकारियों ने सभी जिलों में अब तक की गई कार्यवाहियों की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि वायु प्रदूषण पर नियंत्रण रखने के लिए कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) द्वारा जारी दिशानिर्देशों का नियमित अनुपालन अनिवार्य है। उन्होंने शहरी क्षेत्रों में सीएनजी और विद्युत चालित सार्वजनिक वाहनों के उपयोग को बढ़ावा देने पर भी बल दिया। नगर निगमों को भी धूल नियंत्रण और सफाई के उपायों को अपनाने के निर्देश दिए गए, जिससे कि प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सके
इस अवसर पर विधायक अमित अग्रवाल, जिलाधिकारी दीपक मीणा, नगर आयुक्त सौरभ गंगवार, और अन्य प्रशासनिक अधिकारी भी मौजूद रहे। सभी अधिकारियों ने एनसीआर क्षेत्र में प्रदूषण नियंत्रण हेतु प्रभावी कदम उठाने का संकल्प लिया।
वायु प्रदूषण की चुनौती का सामना करने के लिए सरकार के ये प्रयास सुनिश्चित करेंगे कि आने वाले समय में एनसीआर के जिलों में वायु गुणवत्ता में सुधार आए और जनता का जीवन स्वास्थ्यप्रद बने।