उत्तर प्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए ‘चाय वाला फाउंडेशन’ के साथ समझौता: रोजगार और स्वावलंबन का नया अवसर

उत्तर प्रदेश में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने हाल ही में राज्य के खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी और सशक्तिकरण के लिए एक नई पहल की घोषणा की। इस कार्यक्रम के तहत, राज्य सरकार ने “चाय वाला फाउंडेशन” के साथ एक महत्वपूर्ण समझौता (एमओयू) किया है, जिसका उद्देश्य खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाना और उन्हें आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाना है। इस समझौते के तहत, महिलाओं को स्थानीय बाजारों में अपने उत्पाद बेचने के लिए आउटलेट्स प्रदान किए जाएंगे। इसके साथ ही, उन्हें उत्पादन, पैकेजिंग और मार्केटिंग का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा ताकि उनके उत्पादों की गुणवत्ता को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरा उतारा जा सके।

नई नीति के लाभ

इस नई खाद्य प्रसंस्करण नीति में किसानों और उद्यमियों को कई सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों के विकास और उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए अनुदान तथा अन्य सुविधाओं की सरल प्रक्रिया शुरू की है, जिससे राज्य में छोटे और मध्यम उद्यमियों को बड़ी मदद मिल रही है। इस पहल के जरिए किसानों को भी एक स्थिर बाजार मिल रहा है जिससे उनकी आमदनी में बढ़ोतरी हो रही है।

महिला सशक्तिकरण और रोजगार

महिला सशक्तिकरण की दिशा में यह पहल महत्वपूर्ण है, जिसमें राज्य सरकार ने विशेष रूप से उन महिलाओं को लक्षित किया है जो स्वयं सहायता समूहों का हिस्सा हैं। इस योजना के तहत इन महिलाओं को खाद्य प्रसंस्करण में प्रशिक्षण देने का कार्य किया जा रहा है, जिसमें उन्हें खाद्य उत्पादन, गुणवत्ता नियंत्रण, और ब्रांडिंग की जानकारी दी जाएगी। उपमुख्यमंत्री मौर्य ने कहा कि इस पहल का उद्देश्य न केवल महिलाओं को रोजगार देना है बल्कि उन्हें स्वरोजगार के अवसर भी उपलब्ध कराना है।

चाय वाला फाउंडेशन द्वारा संचालित आउटलेट्स पर महिलाओं के उत्पादों को विक्रय किया जाएगा, जिससे उन्हें अपनी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करने का अवसर मिलेगा। राज्य के विभिन्न जिलों में स्थित ये आउटलेट्स सरकारी और निजी स्थानों पर स्थापित किए जा रहे हैं, जैसे कि सरकारी कार्यालय परिसर, डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल, विकास प्राधिकरण के चौराहे और प्रमुख कॉलोनियों में​

प्रशिक्षण और समर्थन

क्षेत्रीय खाद्य अनुसंधान एवं विश्लेषण केंद्र (आर-फैक) के निदेशक एस.के. चौहान ने बताया कि केंद्र की ओर से इन महिलाओं को खाद्य प्रसंस्करण, पैकेजिंग, और उत्पाद गुणवत्ता सुनिश्चित करने में तकनीकी और व्यावसायिक प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह पहल उत्तर प्रदेश में आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं के लिए रोजगार और स्वरोजगार के नए अवसर प्रदान कर रही है। अब तक, लगभग 650 महिलाओं को इस योजना के माध्यम से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार से जोड़ा जा चुका है।

राज्य में खाद्य प्रसंस्करण का विकास

डिप्टी सीएम मौर्य के निर्देशों के अनुसार, सरकार का लक्ष्य है कि उत्तर प्रदेश के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को व्यापक रूप से फैलाया जाए। इसके लिए विभिन्न योजनाएं भी बनाई गई हैं, जैसे कि मेगा फूड पार्क और किसान उत्पादक समूहों (एफपीओ) को सशक्त बनाना। इसके तहत सरकार ने गुजरात और महाराष्ट्र जैसी अन्य विकसित राज्यों से खाद्य प्रसंस्करण तकनीक और मॉडल की जानकारी लेकर इसे प्रदेश में लागू करने की योजना बनाई है​।

इस प्रकार, उत्तर प्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में तेजी से विकास हो रहा है, जिसमें सरकार महिलाओं और गरीब वर्गों को प्राथमिकता दे रही है। चाय वाला फाउंडेशन के साथ किया गया यह समझौता महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे न केवल उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा बल्कि राज्य में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को भी बढ़ावा मिलेगा।

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