दिल्ली में एशियाई बौद्ध शिखर सम्मेलन का समापन: उत्तर प्रदेश ने बौद्ध स्थलों का किया व्यापक प्रचार

दिल्ली के अशोका होटल में आयोजित एशियाई बौद्ध शिखर सम्मेलन का उद्देश्य एशिया के देशों में बौद्ध धम्म को एक महत्वपूर्ण भूमिका के रूप में प्रस्तुत करना था। इस आयोजन में अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ और संस्कृति मंत्रालय ने संयुक्त रूप से भाग लिया, जिसमें एशिया के विभिन्न देशों के बौद्ध भिक्षुओं, धार्मिक विद्वानों और धर्मगुरुओं ने हिस्सा लिया। सम्मेलन का मुख्य विषय “एशिया को मजबूत करने में बुद्ध धम्म की भूमिका” था, जो भारत की “एक्ट ईस्ट” नीति के भी अनुरूप है​

उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने सम्मेलन में उत्तर प्रदेश के बौद्ध सर्किट के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने सारनाथ, कुशीनगर, श्रावस्ती, कपिलवस्तु, कौशांबी, और संकिसा जैसे महत्वपूर्ण बौद्ध स्थलों का उल्लेख करते हुए कहा कि माननीय प्रधानमंत्री जी की मंशानुरूप और मुख्यमंत्री जी के मार्गदर्शन में विभिन्न सर्किट का विकास किया जा रहा है। राज्य सरकार इन स्थलों पर पर्यटकों के लिए सुविधाओं का विकास कर रही है। उनका उद्देश्य है कि इन स्थलों पर आने वाले श्रद्धालु शांति और आध्यात्मिकता के अनुभव को लेकर जाएं। मंत्री ने बताया कि पर्यटन स्थलों पर अवसंरचनात्मक विकास के लिए प्रयास किए जा रहे हैं, जिसमें कुशीनगर और श्रावस्ती में कई नए प्रोजेक्ट्स, जैसे बौद्ध थीम पार्क, गेट कॉम्प्लेक्स और विपश्यना केंद्र शामिल हैं​

इस सम्मेलन में भारत को “धम्म सेतु” यानी बौद्ध धर्म के एक सेतु के रूप में प्रस्तुत किया गया, और बौद्ध धम्म के समाज में प्रासंगिकता, बौद्ध कला, साहित्य और विज्ञान में इसके योगदान पर भी विचार-विमर्श किया गया। इस आयोजन के माध्यम से उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग ने विदेशों से आने वाले बौद्ध अनुयायियों को प्रदेश के पवित्र स्थलों पर आमंत्रित करते हुए इन्हें बढ़ावा दिया​

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