महाकुंभ 2025 में अखाड़ा वॉक टूर से श्रद्धालु आध्यात्मिक यात्रा का अनुभव करेंगे
तीर्थराज प्रयागराज में गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पवित्र संगम तट पर दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन महाकुंभ 2025 का शुभारंभ हो चुका है। इस महापर्व में श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए उत्तर प्रदेश स्टेट टूरिज्म डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (यूपीएसटीडीसी) ने एक विशेष पहल की है। श्रद्धालुओं की सुविधा और अखाड़ों की प्राचीन परंपराओं को नजदीक से समझाने के लिए ‘अखाड़ा वॉक टूर’ की शुरुआत की गई है।
अखाड़ा वॉक टूर: विशेष आकर्षण
यूपीएसटीडीसी द्वारा संचालित अखाड़ा वॉक टूर का शुल्क मात्र 2000 रुपये निर्धारित किया गया है। यह भ्रमण परेड ग्राउंड स्थित टेंट कॉलोनी से सुबह 7 बजे शुरू होकर ढाई घंटे में विभिन्न अखाड़ों का दर्शन कराएगा। टूर के दौरान प्रतिभागियों को प्रशिक्षित गाइड द्वारा अखाड़ों की परंपराओं, इतिहास और धार्मिक महत्व की जानकारी दी जाएगी। यह टूर 5 लोगों के समूह में आयोजित किया जाएगा और इच्छुक श्रद्धालु इसकी बुकिंग यूपीएसटीडीसी की आधिकारिक वेबसाइट पर कर सकते हैं।
पर्यटन मंत्री श्री जयवीर सिंह ने बताया कि इस टूर का उद्देश्य देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं को प्रयागराज की प्राचीनता और अखाड़ों की समृद्ध संस्कृति से परिचित कराना है।
विशेष ‘कांबो पैकेज’ का लाभ
यूपीएसटीडीसी ने श्रद्धालुओं के लिए 3500 रुपये का ‘कांबो पैकेज’ भी पेश किया है। इस पैकेज में प्रतिभागी न केवल प्रमुख अखाड़ों का भ्रमण करेंगे, बल्कि नागा साधुओं, अघोरी संप्रदाय और कल्पवासियों के जीवन को भी नजदीक से समझ पाएंगे। यह टूर प्रतिदिन सुबह 7 बजे से दोपहर 12 बजे तक आयोजित होगा। प्रतिभागियों को वॉक एक्सपर्ट, मेले का नक्शा, प्रिंटेड हैंडआउट, एक इको-फ्रेंडली बैग और मिनरल वॉटर की सुविधा प्रदान की जाएगी।
प्रमुख अखाड़ों का परिचय
महाकुंभ के दौरान श्रद्धालुओं को विभिन्न प्रमुख अखाड़ों के दर्शन कराए जाएंगे। इन अखाड़ों का भारतीय सनातन संस्कृति में विशेष महत्व है।
- श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा: हिंदू संन्यासी परंपरा में प्रमुख स्थान रखने वाला यह अखाड़ा भारत के सबसे प्राचीन अखाड़ों में से एक है।
- श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी: शैव संप्रदाय से संबंधित यह अखाड़ा सहस्राब्दी से अधिक पुराना है।
- श्री पंच अटल अखाड़ा: 1400 वर्षों से अधिक पुराना यह अखाड़ा दशनामी संन्यास परंपरा का हिस्सा है।
- श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा: दशनामी परंपरा का यह प्रमुख अखाड़ा धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है।
- श्री तपोनिधि आनंद अखाड़ा पंचायती: शैव संप्रदाय का यह अखाड़ा अपनी विशिष्ट संरचना और परंपराओं के लिए जाना जाता है।
- श्री पंचदशनाम आवाहन अखाड़ा: 6वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित यह अखाड़ा ऐतिहासिक महत्व रखता है।
- श्री पंचदशनाम अग्नि अखाड़ा: शैव परंपरा का हिस्सा यह अखाड़ा अपनी विशिष्ट प्रथाओं के लिए प्रसिद्ध है।
- श्री दिगंबर अनी अखाड़ा: वैष्णव संप्रदाय का यह अखाड़ा समृद्ध परंपराओं का पालन करता है।
- श्री निर्वाणी अनी अखाड़ा: संत अभयराम दास जी द्वारा स्थापित यह अखाड़ा अयोध्या का प्रमुख धार्मिक केंद्र है।
- श्री पंच निर्मोही अनी अखाड़ा: संत रामानंद द्वारा स्थापित यह अखाड़ा प्रभु श्रीराम की भक्ति का प्रतीक है।
- श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन: 1825 में हरिद्वार में स्थापित यह अखाड़ा उदासीन संप्रदाय का प्रमुख केंद्र है।
- श्री पंचायती अखाड़ा नया उदासीन: 1913 से यह अखाड़ा उदासीन संप्रदाय का प्रतिनिधित्व करता है।
- श्री निर्मल पंचायती अखाड़ा: 1862 में स्थापित यह अखाड़ा सिख मठवासी परंपराओं का उदाहरण है।
महाकुंभ में श्रद्धालुओं का उत्साह
महाकुंभ 2025 में अब तक करोड़ों श्रद्धालु संगम में आस्था की डुबकी लगा चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में यह आयोजन विश्व के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन के रूप में सफल हो रहा है। पर्यटन मंत्री ने बताया कि महाकुंभ के दौरान श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं प्रदान करने के लिए प्रशासन ने व्यापक प्रबंध किए हैं।
महाकुंभ 2025 के इस अनूठे अखाड़ा वॉक टूर के माध्यम से श्रद्धालु भारतीय संस्कृति और परंपराओं के करीब आएंगे और इस आयोजन की भव्यता का अनुभव करेंगे।