दुनिया का सबसे महंगा पेड़ अगरवुड (Agarwood) है, जिसे ओउध (Oudh), गह्रु (Gaharu), और एगलवुड (Eaglewood) भी कहा जाता है।
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यह मुख्य रूप से दक्षिण पूर्व एशिया के वर्षा वनों में पाया जाता है। इसकी लकड़ी और उससे प्राप्त होने वाला रेजिन अत्यधिक मूल्यवान हैं।
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अगरवुड की उत्पत्ति
अगरवुड की उत्पत्ति भारत, भूटान, म्यांमार, थाईलैंड, इंडोनेशिया, और मलेशिया में होती है। यह पेड़ विशेष रूप से एक फफूंद (फंगस) के संक्रमण के बाद विकसित होता है, जो इसकी लकड़ी को गहरे रंग और अद्वितीय सुगंध देता है।
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आर्थिक मूल्य
उच्च गुणवत्ता वाले अगरवुड की कीमत बाजार में प्रति किलोग्राम हजारों डॉलर तक हो सकती है। इसका तेल भी बहुत महंगा होता है और कीमत सोने से भी अधिक हो सकती है।
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अगरवुड दुनिया की सबसे महंगी बिकने वाली लकड़ी है। बिजनेस इनसाइडर के अनुसार, एक किलोग्राम अगरवुड की कीमत 73,00,000रुपये तक हो सकती है।
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ऊद
अगरवुड से निकलने वाले राल से ऊद का तेल भी निकाला जाता है। ऊद एक तरह का एसेंशियल ऑयल है जिसका इस्तेमाल सिर्फ परफ्यूम बनाने में होता है
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अगरवुड की महत्ता
यह सुगंधित तेल और धूपबत्ती बनाने के लिए उपयोग किया जाता है। इसकी अद्वितीय सुगंध और औषधीय गुण इसे अत्यधिक मांग वाला उत्पाद बनाते हैं।
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औषधीय गुण
यह तनाव, चिंता, और नींद की समस्याओं के इलाज में उपयोगी होता है। इसके तेल का उपयोग विभिन्न प्रकार की त्वचा और स्वास्थ्य समस्याओं के उपचार में किया जाता है।
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संरक्षण के प्रयास
अगरवुड की अत्यधिक मांग और अवैध कटाई के कारण इसकी प्रजाति संकटग्रस्त हो गई है। इसे संरक्षित करने के लिए विभिन्न प्रयास किए जा रहे हैं, जैसे कि नियंत्रित खेती और पुनर्वास कार्यक्रम।
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पर्यावरणीय प्रभाव
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अगरवुड के पेड़ों का संरक्षण पर्यावरण के लिए भी महत्वपूर्ण है। यह न केवल जैव विविधता को बनाए रखने में मदद करता है, बल्कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में भी सहायक होता है।