अपनी दिनचर्या आरम्भ करने से पहले अपने ईष्ट देव का स्मरण करना न भूलें। इससे जहाँ आपके मन को शान्ति मिलेगी वहीँ आपमें सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह भी होगा।
दिन के पहले आहार में पौष्टिक और कम तेल मसालें के आहार को शामिल करें जिससे आपको दोपहर के भोजन तक ऊर्जा मिल सके और कार्य में आलस न आये।
अपने पूरे दिन के लिए रोज़ एक प्लान तैयार करें। प्लान अपनी क्षमता से थोड़ा ऊंचे स्तर का बनाएं और उसे पूरा करने को कोशिश करें। इससे आपकी कार्यक्षमता में वृद्धि होगी।
अपने कार्यों में छोटे-छोटे ब्रेक लें जिससे कार्यों में नीरसता न आये। ब्रेक लेते समय ध्यान रखें या रिमाइंडर्स सेट कर लें जिससे यह छोटे ब्रेक बड़े न हो जाएँ।
पूरे दिन में अपने मोबाइल स्क्रीन टाइम को कम से कम करें। कोशिश करें कि कॉल के अलावा केवल ज़रूरी कार्य के लिए ही मोबाइल का इस्तेमाल करना पड़े।
अपने व्यावसायिक कार्यों के मध्य रचनात्मकता को शामिल करें। कार्यों के मध्य ब्रेक में मोबाइल की जगह कुछ पढ़े या कुछ लिखे या झपकी ले कर स्वयं को रिचार्ज करें।
अपने कार्यस्थल पर शाम को अपने सहकर्मियों के साथ चर्चा अवश्य करें। इससे सभी के पूरे दिन के कार्यों में सामंज्यस स्थापित करने में मदद मिलेगी साथ ही कार्य के प्रति सबके दृष्टिकोण से भी अवगत होंगे।
शाम को घर पर टीवी-मोबाइल की जगह परिवार के साथ वक़्त बिताने की आदत डालें। इससे आपसी सम्बन्ध मजबूत होंगे और नकारात्मक विचार समाप्त होंगे। इस वक़्त अपने व्यावसायिक कार्यों को टालने की कोशिश करें।
शाम को अपने भोजन को हल्का रखें और काम मात्रा में भोजन करें। भोजन करने का वक़्त भी शाम को 6 से 8के मध्य निश्चित करें। भोजन और सोने के मध्य 2-3 घंटे का अंतराल अवश्य रखे।
सोने से पूर्व अपनी पसंद की किसी भी पुस्तक के कुछ पृष्ठ अवश्य पढ़ें। इससे मस्तिष्क नकारात्मक विचारों में नहीं उलझेगा। पढ़ने से आपके विचारों में भी गुणवत्ता आएगी।
सोने से पूर्व अपने पूरे दिन के लिए अपने ईष्ट देव का धन्यवाद अवश्य करें। साथ ही आने वाले दिन के लिए भी प्राथना करें। इससे आपमें अहम की भावना समाप्त होगी।
रात में जल्दी सोने की आदत डालें। जल्दी सोना जहाँ आपको बहुत सारी बीमारियों से दूर रखता है वहीँ अगले दिन की अच्छी शुरुआत का आधार भी बनता है।