शतपावली एक प्राचीन भारतीय परंपरा है, जिसमें भोजन के बाद 100 कदम चलने की सलाह दी जाती है। इसे स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है।
शतपावली की उत्पत्ति आयुर्वेद में मानी जाती है। आयुर्वेद के अनुसार, शतपावली, पाचन तंत्र को सुधारने और शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करती है।
शतपावली को विशेष रूप से दिन के सभी भोजन के तुरंत बाद किया जाता है। प्राचीन भारतीय परिवारों में इसे एक नियम के रूप में अपनाया गया है।
शतपावली करने से भोजन आसानी से पचता है। वैज्ञानिक अनुसंधानों के अनुसार, हल्की गति से चलने से पाचन एंजाइम सक्रिय होते हैं जिससे भोजन बेहतर तरीके से पचता है।
शतपावली से कैलोरी बर्न होती है, जिससे वजन नियंत्रित रहता है। यह मेटाबॉलिज्म को बढ़ावा देने में भी मदद करता है।
शतपावली से रक्त शर्करा का स्तर नियंत्रित रहता है। पैदल चलने से ग्लूकोज के उपयोग में वृद्धि होती है और इंसुलिन की संवेदनशीलता बढ़ती है।
शतपावली से हृदय स्वास्थ्य में सुधार होता है। यह रक्त संचार बढ़ाता है और ट्राइग्लिसराइड का स्तर नियंत्रित कर हृदय संबंधी बीमारियों का जोखिम कम करता है।
शतपावली मानसिक तनाव को कम करती है और मन को शांत रखती है। इससे मूड बेहतर होता है और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
शतपावली पेट की समस्याओं जैसे पेट फूलना, गैस और अपच जैसी समस्याओं को समाप्त करता है।
शतपावली हमेशा भोजन के तुरंत बाद करें। चलते समय अपनी गति धीमी रखें और समतल सतह पर ही चलें।
शतपावली का नियम यही है कि गिन कर कम से कम 100 कदम चला जाए। इसके लिए स्टेप काउंटर की मदद भी ले सकते हैं।
शतपावली एक सरल और प्रभावी तरीका है स्वस्थ जीवन जीने का। इसे अपनाकर जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाएं।