बुद्ध पूर्णिमा

धर्म   ध्यान दर्शन

महात्मा बुद्ध का जन्म लुम्बिनि नेपाल में एक राजकुमार के रूप में लगभग 563 BCE में हुआ। उनके जीवन की सम्पूर्ण तपस्या, संघर्ष, शोध, त्याग,और उनकी शिक्षाएं आज भी मानव उत्क्रांति का आधार हैं।

बुद्ध

जीवन को शांति से जीने की परम्परा, जिसमें किसी भी प्राणी को चोट पहुंचाना निषेध है।

1. अहिंसा:

सत्य को जान कर ज्ञान प्राप्त करने की प्रेरणा, जिससे  मुक्ति की दिशा में मार्गदर्शन हो सके।

2. सम्यक ज्ञान:

सत्य की खोज और जीवन की सच्चाई को समझने की प्रेरणा प्राप्त करना ।

3. सम्यक दर्शन:

सही कर्मों का पालन करते हुए  धर्मनुसार जीवन जीने की शिक्षा।

4. सम्यक आचरण:

संसार को सही दृष्टि से समझने और विचार करने की क्षमता का विकास।

5. सम्यक विचार:

सुख-दुःख में समानुभव की भावना।

6. करुणा:

समस्त प्राणियों के प्रति समाभाव और समानुभूति का विकास।

7. उपेक्षा:

मानसिक शांति और आत्मीयता के महत्व को समझना।

8. प्रशान्तता:

जीवन में सरल और संयम युक्त व्यवहार का महत्व।

9. सरलता:

ईश्वर या ब्रह्म के प्रति विश्वास और आध्यात्मिक विकास का मार्गदर्शन।

10. आस्था:

ये शिक्षाएँ एक आदर्श जीवन जीने की दिशा में मार्गदर्शन देती  हैं और समाज में प्रेम और समृद्धि का मूल आधार बनाती हैं।