क्या योग व्यायाम है ?

योग का अर्थ है जुड़ना या मिलना

भारतीय योग पद्धति के अनुसार योग का मतलब, आत्मा से परमात्मा का मिलना या जुड़ना होता है।

परमात्मा से मिलन सदैव से ही कठिन रहा है। भारतीय  आध्यात्मिक  परंपरा में कई साधकों  ने योग-प्राप्ति के लिए अपने घर-गृहस्थी को त्यागा है

कालांतर में कई ऋषि-मुनियों ने योग पर शोध किया और योग-प्राप्ति के लिए अनेकों पंथ, पद्धतियों व ग्रंथों की रचना की 

योग के इतिहास का सबसे नवीनतम, प्रामाणिक और प्रचलित ग्रन्थ, महर्षि पतंजलि द्वारा रचित अष्टांग योग है।

अष्टांग योग के 8 चरण हैं 

2. नियम- आत्मानुशासन  

3. आसन- व्यायाम और  मुद्राएँ 

4. प्राणायाम- श्वास नियंत्रण

5. प्रत्याहार- इन्द्रियों का नियंत्रण 

6. धारणा- एकाग्रता 

7. ध्यान- आत्मसाक्षात्कार

8. समाधि -  मोक्ष (परमानन्द की  स्थिति)  

1. यम- सामाजिक और नैतिक अनुशासन   

अष्टांग योग का तीसराचौथा चरण - आसन और प्राणायाम सबसे अधिक लोकप्रिय हैं।  ये शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करते है और कुछ हद तक मन  व मस्तिष्क में समन्वय कर संतुलित करते हैं।

अपनी आत्मा को परमात्मा से जोड़ने के लिए अष्टांग योग के आठ चरणों से गुज़रना ही पड़ता है, जिनका सामान्यता गृहस्थ जीवन में पालन करना  संभव नहीं है।

आसन और प्राणायाम का रोज़ अभ्यास करना, योग नहीं केवल योग की तैयारी मात्र है।

लेकिन, आज हम गृहस्थ जीवन में घर पर रहते हुए ही, कुछ ही क्षणों में योग के सर्वोच्च शिखर समाधि, को प्राप्त कर सकते हैं।

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हमारे भीतर स्थित, कुण्डलिनी शक्ति की जागृति से 'अष्टांग योग' के  सर्वोच्च शिखर-आत्मसाक्षात्कार समाधि की अवस्था को आसानी से प्राप्त किया जा सकता है।  

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