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अपने शरीर को एक अणु के समान छोटा कर लेने की क्षमता।
अपने इसी छोटे रूप के बल पर हनुमान जी ने लंका का निरीक्षण किया था।
हनुमान जी ने एक बार समुद्र पार करते वक्त सुरसा नामक राक्षसी के सामने और दुसरी बार अशोका वाटिका में माता सीता जी के सामने महिमा सिद्धि का उपयोग किया था।
शरीर का आकार अत्यन्त बड़ा करने की क्षमता।
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भीम का घमंड तोड़ने के लिए हनुमान जी ने इस सिद्धि का प्रयोग किया था, बहुत कोशिश करने पर भी भीम हनुमान जी की पूंछ को हिला भी न पाए।
शरीर को अत्यन्त भारी बना देने की क्षमता।
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लंका-दहन के समय हनुमानजी का आकार तो अत्यंत विशाल था पर वे इतने हल्के थे कि वे शीघ्र ही एक कोने से दूसरे कोने तक पहुँच जाते थे।
शरीर को भार रहित करने की क्षमता।
अपनी बाल्यावस्था में सुदूर सूर्य को मधुर फल समझ कर उसे खा लेना।
अपनी प्रत्येक इच्छा को पूर्ण करने की क्षमता। ।
हनुमानजी ने भगवान राम से मिलने के लिए एक ब्राह्मण का रूप धारण किया था।
कोई भी रूप धारण कर लेना और किसी भी स्थान पर जाने की क्षमता।
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प्रत्येक वस्तु और प्राणी पर पूर्ण अधिकार। इसी सिद्धि के उपयोग से युद्ध में मारे गए कई वानरों को पुनर्जीवित भी किया।
ईश्वर स्वरुप होने की क्षमता।
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कर्मों और विषय-भोगों में आसक्त न होने का सामर्थ्य। हनुमानजी अखण्ड ब्रह्मचारी और पूर्ण जितेन्द्रिय थे।
इन्द्रियों को वश में रखने की क्षमता।
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