तेलंगाना ने UP के आलू पर लगा दी रोक, थोड़े दिनों के लिए कीमतें हो जाएंगी प्रभावित…

राज्य विधानसभा चुनावों की घोषणा से पहले ही तेलंगाना ने उत्तर प्रदेश के आलू पर रोक लगा दी है। तेलंगाना के इस फैसले से उत्तर प्रदेश सरकार की मुश्किलें तो बढ़ेंगी हीं लेकिन तेलंगाना सरकार में शामिल असदुद्दीन ओवैसी के लिए यूपी के किसानों को जवाब देना भारी पड़ेगा। ओवैसी बिहार विधानसभा के चुनाव में मिली कुछ सफलता के बाद अब उत्तर प्रदेश में भी भाग्य आजमाने उतर रहे हैं। उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में चुनाव की औपचारिक बिगुल बजने से पहले ही आलू पर सियासी बुखार चढ़ने लगा है। मूल्य घटने से जहां उत्तर प्रदेश के आलू किसान परेशान होंगे वहीं चुनाव के दौरान सत्तारुढ़ भाजापा की चुनौतियां भी बढ़ सकती हैं।

देश के दक्षिणी राज्यों में आलू की आपूर्ति उत्तर प्रदेश से होती है। उत्तर प्रदेश से रोजाना तकरीबन एक सौ ट्रक आलू अकेले तेलंगाना को भेजा जाता है, जिसका आधा हिस्सा आगरा से पहुंचता है। हैरानी इस बात की है कि तेलंगाना में आलू का कुल उत्पादन उसकी कुल खपत में से मुश्किलन एक महीने के बराबर ही आलू होता है। आलू की बाकी जरूरतों के लिए उसे फिर दूसरे राज्यों पर ही निर्भर होना पड़ेगा।

कीमतें थोड़े दिनों के लिए होंगी प्रभावित

उत्तर प्रदेश आलू उत्पादक संघ के प्रमुख सुशील कटियार ने बताया ‘तेलंगाना का यह फैसला केवल मात्र सियासी है। हालांकि उसके इस फैसले कीमतें थोड़े दिनों के लिए जरूर प्रभावित हो जाएंगी। राज्यों में सत्तारुढ़ क्षेत्रीय दलों के साथ यही मुश्किल है। वह किसी मसले पर देशव्यापी सोच नहीं रखती हैं बल्कि सीमित सोच के आधार पर फैसले लेती है। कुछ इसी तरह का फैसला पश्चिमी बंगाल की तृणमूल कांग्रेस सरकार भी कई बार ले चुकी है। उत्तर प्रदेश का आलू महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडु में जाता है।’

राजनीति से प्रेरित है तेलंगाना सरकार का यह फैसला

पांच विधानसभा चुनावों की घोषणा किसी भी दिन हो सकती है, जिसके ठीक पहले तेलंगाना सरकार का यह फैसला केवल राजनीतिक प्रेरित है। प्रदेश के आलू उत्पादक जिला आगरा और फर्रुखाबाद में तकरीबन 50 लाख बोरी पुराना आलू का स्टाक पड़ा हुआ है। इससे उत्तर प्रदेश में आलू की कीमतों में गिरावट का रुख बन सकता है। बाजार में नया आलू पहुंच चुका है, जिससे स्थानीय स्तर पर ग्राहक पुराना आलू नहीं खरीदेगा। लिहाजा बाजार में कीमतें घट सकती हैं।

उत्तर प्रदेश में चुनावी भाग्य आजमाने तेलंगाना सरकार में शामिल राजनीतिक दल एआइएमआइएम के मुखिया ओवैसी भी उतर चुके हैं। उनका चुनावी अभियान तेज हो गया है। तेलंगाना का यह फैसला उनके लिए भारी पड़ सकता है। उनके लिए उत्तर प्रदेश के आलू किसानों को जवाब देना भारी पड़ेगा। तेलंगाना सरकार ने बाहरी राज्यों से आलू की आपूर्ति पर रोक लगाने के साथ कहा है कि इससे स्थानीय किसानों को उनकी उपज का अच्छा मूल्य नहीं मिल पाएगा। राज्य में आलू की खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है। लेकिन उत्पादकता कम होने और लागत अधिक होने से कीमतें ज्यादा हो जाती है।

Related Articles

Back to top button
T20: भारत का क्लीन स्वीप जानिये कितने खतरनाक हैं कबूतर। शतपावली: स्वस्थ रहने का एक आसान उपाय भारतीय मौसम की ALERT कलर कोडिंग In Uttar Pradesh Call in Emergency