जानें कब है फाल्गुन मास की संकष्टी चतुर्थी का महत्व…

हिंदू धर्म में हर साल 24 चतुर्थी व्रत आते हैं। जिसमें से एक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी और दूसरा शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी कहते हैं। इस समय फाल्गुन मास चल रहा है। फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली चतुर्थी को द्विजप्रिय चतुर्थी कहा जाता है। इस साल फाल्गुन मास में संकष्टी चतुर्थी व्रत 09 फरवरी 2023, गुरुवार को रखा जाएगा। इस दिन भगवान श्रीगणेश के छठवें स्वरूप द्विजप्रिय गणेश की पूजा की जाती है। मान्यता है कि संकष्टी चतुर्थी के दिन विघ्नहर्ता की विधिवत पूजा-अर्चना करने से मनोकामना पूरी होती है। संकटों से मुक्ति मिलती है और घर में रिद्धि-सिद्धि का आगमन होता है।

द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी 2023 शुभ मुहूर्त-

चतुर्थी तिथि 09 फरवरी को सुबह 06 बजकर 23 मिनट से प्रारंभ होगी जो कि 10 फरवरी 2023 को सुबह 07 बजकर 58 मिनट पर समाप्त होगी। संकष्टी के दिन चंद्रोदय का समय रात 09 बजकर 18 मिनट निर्धारित है।

द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के दिन बन रहे शुभ संयोग-

द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के दिन कई शुभ योग बनने से इसका महत्व और बढ़ रहा है। इस दिन सुकर्मा योग शाम 04 जकर 46 मिनट तक और उसके बाद धृति योग शुरू होगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इन शुभ योग में किए गए कार्यों में सफलता हासिल होती है।

द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी पूजन मुहूर्त-

ब्रह्म मुहूर्त- 05:21 ए एम से 06:13 ए एम    
प्रातः सन्ध्या- 05:47 ए एम से 07:05 ए एम
अभिजित मुहूर्त- 12:13 पी एम से 12:58 पी एम
विजय मुहूर्त- 02:26 पी एम से 03:10 पी एम
गोधूलि मुहूर्त- 06:04 पी एम से 06:30 पी एम
सायाह्न सन्ध्या- 06:06 पी एम से 07:24 पी एम
अमृत काल- 02:35 पी एम से 04:20 पी एम

संकष्टी चतुर्थी पूजा- विधि

घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।
गणपित भगवान का गंगा जल से अभिषेक करें। 
भगवान गणेश को पुष्प अर्पित करें। 
भगवान गणेश को दूर्वा घास भी अर्पित करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दूर्वा घास चढ़ाने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं।
भगवान गणेश को सिंदूर लगाएं।
भगवान गणेश का ध्यान करें।
गणेश जी को भोग भी लगाएं। आप गणेश जी को मोदक या लड्डूओं का भोग भी लगा सकते हैं।
इस व्रत में चांद की पूजा का भी महत्व होता है। 
शाम को चांद के दर्शन करने के बाद ही व्रत खोलें।
भगवान गणेश की आरती जरूर करें।

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