ईआईपीएमएफ में भाग लेने के लिए स्वीडन की तीन दिवसीय यात्रा पर जाएंगे विदेश मंत्री एस जयशंकर…

विदेश मंत्री एस जयशंकर इंडो-पैसिफिक मिनिस्ट्रियल फोरम (ईआईपीएमएफ) में भाग लेने के लिए स्वीडन की तीन दिवसीय यात्रा पर हैं। उन्होंने यहां भारतीय समुदाय से बातचीत के दौरान एक सवाल के जवाब में कहा कि आपके मुंह में घी-शक्कर, जिसके बाद सभी ठहाका लगाकर हंसने लगे।

विदेश मंत्री ने भारतीय संस्कृति के वैश्वीकरण पर एक सवाल का जवाब देते हुए लोकप्रिय हिंदी मुहावरा ‘आपके मुंह में घी-शक्कर’ का इस्तेमाल किया, जिससे वहां बैठे सभी लोग हस पड़े। उन्होंने वहां मौजूद लोगों से भारत में चल रही विकास गतिविधियों और विदेशों में रहने वाले भारतीयों के लिए पैदा किए गए अवसरों के बारे में बात की।

‘आपके मुह में घी-शक्कर’

विदेश मंत्री एस जयशंकर से पूछा गया कि वैश्वीकरण के इस युग में, क्या पश्चिम हैमबर्गर के बजाय लोग ‘पानी पूरी’ खाना शुरू कर देंगे और क्या एच एंड एम टी-शर्ट पर न्यूयॉर्क के बजाय नई दिल्ली छपी होगी? जयशंकर ने इस प्रश्न का उत्तर बड़े ही खास अंदाज में दिया। उन्होंने कहा कि मैं नहीं जानता कि आपमें से कितने लोग हिंदी समझते हैं। लेकिन आप जानते हैं कि हिंदी का एक शब्द है, जो कहता है ‘आपके मुह में घी-शक्कर’ (आप जो कह रहे हैं, आशा है कि यह सच हो)”। उनके इस उत्तर से वहां बैठे सभी लोगों ने तालियां बजाई और ठहाके लगाकर हंसने लगे।

‘हमारी वजह से हो रहा है भारतीय संस्कृति का वैश्वीकरण’

जयशंकर ने कहा कि मैं वास्तव में भारतीय संस्कृति का वैश्वीकरण होते देख सकता हूं। लेकिन यह कई कारकों पर हो रहा है पहला यह भारतीय समुदाय के प्रसार की की वजह है। दूसरी वजह हम खुद हैं। वहीं, उन्होंने यह भी कहा कि हम भारतीय संस्कृति के वैश्वीकरण को और अधिक सार्वभौमिक बनाने के तरीकों को खोजने का प्रयास करना चाहिए।

दुनिया में तेजी से फैला अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस

भारतीय संस्कृति के प्रसार पर उन्होंने योग दिवस का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस वास्तव में वह पहल है, जिसे दुनिया ने भी अपनाया है। 2015 में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने की शुरुआत हुई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुरू किया था। एस जयशंकर ने कहा कि मुझे कहना होगा पूरी ईमानदारी से, हममें से कोई भी वास्तव में कल्पना भी नहीं कर सकता था कि अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस से इस तरह से दुनिया में अपनाया जाएगा। दुनिया में ऐसा कोई देश नहीं है जहां योग के प्रति वह उत्साह न हो।

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