आंखों के आसपास नजर आते हैं फैटी लीवर के ये 5 संकेत

इन दिनों लोगों की लाइफस्टाइल और उनके खानपान में तेजी से बदलाव होने लगा है। तेजी से होते इन बदलावों का असर लोगों की सेहत पर भी नजर आने लगा है। आजकल लोग कई समस्याओं का शिकार हो रहे हैं। Fatty Liver इन्हीं समस्याओं में से एक है, जो कई लोगों को प्रभावित करता है। यह समस्या गंभीर रूप ले सकती है, अगर समय रहते इसका सही इलाज न किया जाए। ऐसे में जरूरी है कि फैटी लिवर की समस्या से बचने के लिए जल्द से जल्द इसकी पहचान कर इसका समाधान किया जाए।

हमारा शरीर कई तरह से हमारे बीमार होने का संकेत देता है। फैटी लिवर की समस्या होने पर भी शरीर में कई तरह के संकेत नजर आते हैं। हमारी आंखें और इसके आसपास भी इसके लक्षण दिखाई देते हैं। अगर आपको भी अपनी आंखों या आसपास की जगहों पर निम्न संकेत नजर आए, तो इससे बिल्कुल भी नजरअंदाज न करें।

आंखों में सूजन
चेहरे में सूजन खासकर से आंखों के आसपास होने वाली सूजन फैटी लिवर का संकेत हो सकता है। यह सूजन ब्लड फ्लो को नियंत्रित करने वाले प्रोटीन का उत्पादन करने की लिवर की खराब क्षमता के कारण होता है।

आंखों के नीचे काले घेरे
इन दिनों आंखों के नीचे काले घेरे होना बेहद आम समस्या हो चुकी है। खराब लाइफस्टाइल और अन्य कई वजहों से आंखों के नीचे काले घेरे होने लगते हैं, लेकिन यह काले घेरे लिवर की खराब फंक्शनिंग का संकेत भी हो सकता है। लिवर हमारे खून को डिटॉक्सीफाई करता है, इसलिए जब इसमें गड़बड़ी होती है, तो विषाक्त पदार्थ जमा हो सकते हैं, जिससे आंखों के नीचे काले घेरे हो जाते हैं।

जैथेलस्मा (Xanthelasma)
जैथेलस्मा कोलेस्ट्रॉल का पीला जमाव है, जो पलकों पर दिखाई दे सकता है। ये जमाव अक्सर हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल से जुड़ा होता है, जो आमतौर पर फैटी लिवर से पीड़ित लोगों में देखा जाता है। जैथेलस्मा होने का मतलब है कि लिवर ब्लड में लिपिड लेवल को प्रभावी ढंग से प्रबंधित नहीं कर रहा है।

आंखों का पीला होना
पीलिया भी फैटी लिवर डिजीज का एक आम लक्षण है। इसमें आंखों का रंग पीला हो जाता है। ऐसा तब होता है जब लिवर बिलीरुबिन को प्रोसेस नहीं कर पाता है। इससे आंखों का सफेद भाग और त्वचा का रंग पीला पड़ जाता है।

स्पाइडर एंजियोमास
स्पाइडर एंजियोमास छोटी, मकड़ी जैसी ब्लड वेसल्स होती हैं, जो चेहरे और आंखों के आसपास दिखाई दे सकती हैं। ऐसा बढ़े हुए एस्ट्रोजन के लेवल के कारण होता है, जो तब होता है, जब लिवर हार्मोन को ठीक से मेटाबॉलिज्म नहीं कर पाता है। यह स्थिति अक्सर फैटी लीवर सहित लिवर की अन्य बीमारी वाले व्यक्तियों में देखी जाती है।

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