‘सिंधी-हिंदी समानता एवं संयुक्त राष्ट्र में हिंदी की संभावनाएं’ पर संगोष्ठी आयोजित

उत्तर प्रदेश सिंधी अकादमी ने अपर मुख्य सचिव, भाषा विभाग, श्री जितेंद्र कुमार के मार्गदर्शन में ‘सिंधी-हिंदी में समानता एवं संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी की संभावनाएं’ विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया। यह कार्यक्रम विश्व हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया, जिसका उद्देश्य हिंदी और सिंधी भाषाओं के बीच समानताओं पर प्रकाश डालना और संयुक्त राष्ट्र में हिंदी की संभावनाओं पर विचार-विमर्श करना था।

कार्यक्रम की शुरुआत भगवान झूलेलाल की प्रतिमा पर माल्यार्पण से हुई, जिसमें अकादमी के निदेशक श्री अभिषेक कुमार ‘अखिल’, सिंधी विद्वान श्री प्रकाश गोधवानी, श्री सुधामचंद, श्री दुनीचंद, श्री पदमकांत शर्मा, श्री उमेश कुमार पाठक, और श्री दिनेश मूलवानी ने भाग लिया।

संगोष्ठी में श्री पदमकांत शर्मा ने संयुक्त राष्ट्र में हिंदी की संभावनाओं पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने बताया कि हिंदी विश्व में तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है और संयुक्त राष्ट्र में इसके आधिकारिक दर्जे के लिए प्रयास जारी हैं। विदित हो कि पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में हिंदी में भाषण देकर हिंदी को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत किया था।

श्री प्रकाश गोधवानी ने हिंदी और सिंधी भाषाओं की समानताओं पर प्रकाश डाला, उदाहरण सहित बताया कि दोनों भाषाओं में कई शब्द और व्याकरणिक संरचनाएं मिलती-जुलती हैं। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि संयुक्त राष्ट्र में वर्तमान में छह आधिकारिक भाषाएं हैं, और हिंदी को शामिल करने के प्रयास जारी हैं।

श्री सुधामचंद ने भारतीय और सिंधी संस्कृति की समानताओं का उल्लेख करते हुए सिंधी भाषा की विशेषताओं की तुलना हिंदी से की और दोनों की मूलभूत समानताओं पर चर्चा की। श्री उमेश कुमार पाठक ने सिंधी भाषा की प्राचीनता पर विचार रखते हुए बताया कि सिंधी भाषा का इतिहास समृद्ध और विस्तृत है, जो भारतीय उपमहाद्वीप की सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

अकादमी के निदेशक श्री अभिषेक कुमार ‘अखिल’ ने उपस्थित विद्वानों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि हिंदी विश्व में बोली और समझी जाने वाली प्रमुख भाषाओं में से एक है और इसका प्रसार पूरे विश्व में हो रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि हिंदी को संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा बनाने के लिए भारत सरकार निरंतर प्रयासरत है, जिससे हिंदी की वैश्विक स्वीकार्यता और बढ़ेगी।

इस संगोष्ठी ने हिंदी और सिंधी भाषाओं के बीच सांस्कृतिक और भाषाई संबंधों को मजबूत करने के साथ-साथ हिंदी को संयुक्त राष्ट्र में आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता दिलाने के प्रयासों को गति देने पर बल दिया।

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