महागठबंधन में कुटुंबा से फूटी दरार, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष की सीट पर राजद का प्रत्याशी

बिहार की कुटुंबा सीट को लेकर महागठबंधन के अंदर दरार सामने आई है। यहां कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम और राजद के संभावित प्रत्याशी सुरेश पासवान आमने-सामने हैं।

बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के नामांकन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी महागठबंधन में सीटों का समीकरण फाइनल नहीं हो सका है। कांग्रेस और राजद के बीच जारी खींचतान अब खुलकर सामने आ गई है। गठबंधन के भीतर 11 सीटों पर घटक दल आमने-सामने आ चुके हैं।

इस सियासी तनातनी ने एनडीए को हमले का नया मौका दे दिया है। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान ने कहा कि महागठबंधन में सिर फुटव्वल चरम पर है। पहले चरण का नामांकन खत्म हो गया, लेकिन इनकी सीटें अभी तक तय नहीं हैं। घटक दल एक-दूसरे के खिलाफ नामांकन कर रहे हैं।

कुटुंबा में दोस्ताना संघर्ष

तनाव की सबसे बड़ी तस्वीर दूसरे चरण की औरंगाबाद की कुटुंबा विधानसभा सीट पर दिख रही है। यहां कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम और राजद के संभावित प्रत्याशी सुरेश पासवान आमने-सामने हैं। कांग्रेस की दूसरे चरण की पहली सूची में राजेश राम का नाम कुटुंबा से तय किया गया है, जबकि राजद ने भी उसी सीट पर अपने नेता को चुनावी मैदान में उतारने की तैयारी शुरू कर दी है।

सूत्रों के अनुसार, सुरेश पासवान 20 अक्तूबर को लालटेन सिंबल पर नामांकन करेंगे। उन्होंने दावा किया है कि यह निर्णय पार्टी नेतृत्व की सहमति से लिया गया है। इधर, कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम भी पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। उन्होंने साफ कहा है कि कुटुंबा मेरी कर्मभूमि है, जनता के बीच से हटने का सवाल ही नहीं उठता।

एनडीए को मिला नया मुद्दा

महागठबंधन की इस कलह ने एनडीए के नेताओं को हमले का नया हथियार दे दिया है। चिराग पासवान ने कहा कि “जो लोग बिहार को स्थिर सरकार देने की बात करते हैं, वे खुद अपने घर को नहीं संभाल पा रहे।” भाजपा के प्रवक्ताओं ने भी इसे नेतृत्व संकट और अवसरवाद की पराकाष्ठा बताया है। कुटुंबा की यह लड़ाई सिर्फ एक सीट का झगड़ा नहीं, बल्कि महागठबंधन की एकजुटता की परीक्षा बन गई है।

कांग्रेस और राजद के बीच यह तकरार अगर सुलझी नहीं, तो इसका असर आने वाले चरणों में पूरे गठबंधन पर पड़ सकता है। फिलहाल, कुटुंबा सीट पर जो माहौल है, वह ‘दोस्ताना संघर्ष’ से ज्यादा सियासी टकराव की ओर बढ़ता दिख रहा है। राहुल-तेजस्वी की जोड़ी इस संकट को सुलझा पाती है या महागठबंधन की नाव पहले चरण से पहले ही हिचकोले खाने लगती है।

कांग्रेस की दूसरी सूची, झामुमो ने भी उतार दिए छह उम्मीदवार

कांग्रेस ने शनिवार को अपने खाते में बची 11 में से 5 सीटों पर उम्मीदवारों का एलान किया। कांग्रेस की दूसरी सूची जारी होने के बीच महागठबंधन में सीट बटवारा न होता देखकर झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने भी छह सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए। झामुमो ने चकाई, धमदाहा, कटोरिया अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीट, मनिहारी अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीट, पीरपैंती और जमुई सीट पर अपने उम्मीदवारों को उतारा है।

नरकटियागंज सीट को लेकर राष्ट्रीय जनता दल के साथ कोई सहमति न बन पाने के बावजूद कांग्रेस ने यहां से शाश्वत केदार पांडे को उतारने की घोषणा कर दी है। वही किशनगंज से मोहम्मद कमरूल होड़ा, कस्बा से मोहम्मद इरफान आलम को, ओढनिया से जितेंद्र यादव को अपना उम्मीदवार बनाया है। गया टाउन से मोहन श्रीवास्तव को कांग्रेस का टिकट मिला है। ब्यूरो

पोस्ट से बढ़ा सियासी तापमान

राजेश राम ने शुक्रवार देर रात अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा दलित दबेगा नहीं, झुकेगा नहीं, अब इंकलाब होगा। जय बापू, जय भीम, जय संविधान, जय कांग्रेस। उनके इस ट्वीट के बाद महागठबंधन के भीतर दलित अस्मिता और नेतृत्व की अनदेखी पर चर्चा तेज हो गई है। राजद खेमे में इस ट्वीट को अप्रत्यक्ष नाराजगी के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है।

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