अफगानिस्तान के राजदूत जाविद अहमद कैम ने अपने पद से दिया इस्तीफा, सैलरी न मिलने का किया जिक्र
तालिबान (Taliban) के राज में अफगानिस्तान आर्थिक बदहाली की स्थिति में पहुंच गया है. सामान्य कर्मचारियों से लेकर बड़े-बड़े पदों पर बैठे अधिकारियों को भी सैलरी नहीं मिल रही है. चीन में अफगानिस्तान के राजदूत जाविद अहमद कैम (Afghanistan’s Ambassador to China Javid Ahmad Qaem) ने 6 महीने से वेतन नहीं मिलने के बाद इस्तीफा दे दिया है. अहमद ने बताया है कि उनके स्टाफ में से किसी को भी वेतन नहीं मिला है. हालांकि, अभी उन्होंने ये स्पष्ट नहीं किया है कि नौकरी छोड़ने के बाद अब वह क्या करेंगे.
दूतावास में महज एक रिसेप्शनिस्ट
जाविद अहमद (Javid Ahmad) ने तालिबान सरकार द्वारा नियुक्त गए राजदूत के लिए इस्तीफा वाला नोट भी छोड़ा है, जिसमें उन्होंने सैलरी न दिए जाने का जिक्र करते हुए बताया है कि दूतावास में सिर्फ फोन का जवाब देने के लिए एक रिसेप्शनिस्ट है. जाविद ने ट्वीट कर बताया है कि अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से कर्मचारियों की सैलरी और दूसरे भुगतान के लिए संघर्ष करना पड़ा है.
पांच कारों की चाबियां सौंपी
राजदूत ने लिखा, ‘चूंकि हमें काबुल सरकार से पिछले छह महीनों से वेतन नहीं मिला है, इसलिए हमने वित्तीय मुद्दों को हल करने के लिए राजनयिकों की एक समिति नियुक्त की है. कर्मचारियों को भुगतान करने के लिए हमें दूतावास के बैंक खाते से पैसा निकालना पड़ा है’. जाविद अहमद ने इस्तीफा देने के साथ ही दूतावास की पांच कारों की चाबियां भी कार्यालय में छोड़ दी हैं.
Bank Account में बचे हैं कुछ पैसे
उन्होंने बताया कि हमारे पास बैंक में कुछ पैसे हैं जिससे नए राजनयिक के रहने खाने और दूसरे खर्चों का इंतजाम हो सकेगा. हमने उसी से अपनी दैनिक सुविधाओं की व्यवस्था की है. साथ ही उन्होंने लिखा कि मैंने कर्मचारियों को सैलरी नहीं दी है, लेकिन कुछ पैसों का भुगतान किया ताकि उनके बीजिंग में रहने का खर्च निकल सके. तालिबान सरकार द्वारा नियुक्त किए गए राजदूत मोहियुद्दीन सद्दात को लिखे पत्र में जाविद ने यह भी कहा कि बैंक में अभी भी करीब 1 लाख डॉलर बचे हुए हैं. इसके अलावा कई और पैसे दूसरे खातों में हैं. दूतावास में पांच कारों को उन्होंने बिल्डिंग की पार्किंग में लगा दिया है.
चीन को है पूरी खबर
पत्र में जाविद ने इसका भी जिक्र किया है कि सैलरी की कमी की वजह से सभी चीनी कर्मचारियों को काम से हटा दिया गया है. ट्विटर पर अपने इस्तीफे को साझा करते हुए जाविद ने लिखा है कि एक सम्मानजनक जिम्मेदारी का अंत. मैंने राजदूत के रूप में अपनी नौकरी छोड़ दी है. जाविद अहमद नवंबर, 2019 से अफगानिस्तान के राजदूत के रूप में कार्य कर रहे थे. उन्होंने अपना दुख बयां करते हुए लिखा है, मुझे लगता है कि जब मोहियुद्दीन सद्दात बीजिंग आएंगे तो उन्हें कोई राजनयिक नहीं मिलेगा. मौजूदा स्थिति के बारे में चीन को सूचित कर दिया गया था’.
यहां राजदूत पर बोला था हमला
बता दें कि अफगानिस्तान के कई दूतावास इस वक्त अनिश्चितताओं से घिरे हुए हैं. तालिबान ने अधिकांश मिशनों के लिए नए प्रतिनिधि नियुक्त नहीं किए हैं और उनकी सरकार को कई देशों ने मान्यता भी नहीं दी है. पिछले दिनों रोम स्थित अफगानिस्तान दूतावास में एक बर्खास्त अफगान राजनयिक ने राजदूत पर हमला कर दिया था जिसके बाद पुलिस को दूतावास में बुलाना पड़ा था.