कोयला, डीजल और इलेक्ट्रिक के बाद अब बैट्री से चलेंगे रेलवे के इंजन

कोयला, डीजल और इलेक्ट्रिक के बाद अब रेलवे के इंजन बैट्री से चलेंगे। पूर्वोत्तर रेलवे ने इसकी तैयारी भी शुरू कर दी है। प्रयोग के तौर पर गोंडा लोको शेड के इंजीनियरों ने डब्लूएजी-5 नंबर का बैट्री चालित शंटिंग इंजन तैयार किया है। जिसका नाम अवनि रखा गया है। इसका उपयोग शेड में लोको को शंटिंग (इंजनों और बोगियों को एक से दूसरे स्थान पर ले जाना) में किया जा रहा है। प्रयोग सफल रहा तो अन्य लोको शेड, स्टेशन यार्ड और कारखानों में भी बैट्री चालित इंजनों का उपयोग हो सकेगा।

15 किमी है शंटिंग इंजीन की अधिकतम रफ्तार

बैट्री चालित अवनि शंटिंग इंजन इलेक्ट्रिक से भी चलता है। इसकी अधिकतम रफ्तार 15 किमी प्रति घंटे है। दो से तीन घंटे पर इसको चार्ज करना पड़ता है। इलेक्ट्रिक से संचालित होने पर इसकी बैट्री स्वत: चार्ज होती रहती है। बैट्री चालित शंटिंग इंजन के उपयोग से रेलवे को प्रतिदिन 100 लीटर डीजल की बचत हो रही है। पर्यावरण भी संरक्षित हो रहा है।

पुराने इलेक्ट्रिक इंजन में बदलाव कर बनाया गया बैट्री चालित

जानकारों के अनुसार गोंडा शेड के इंजीनियरों ने पुराने इलेक्ट्रिक इंजन में बदलाव कर बैट्री चालित बनाया है। लोको शेड, स्टेशन यार्ड और कारखानों में शंटिंग के लिए बैट्री से चलने वाले नए इंजनों का निर्माण भी जल्द शुरू हो जाएगा। फिलहाल, रेलवे के इंजीनियरों ने इंजनों को संचालित करने के लिए बैट्री का उपयोग कर हरित रेलवे की तरफ एक अहम कदम बढ़ा दिया है।

शेड, यार्ड व कारखानों में चलते हैं शंटिंग इंजन

रेलवे के लोको शेड, स्टेशन यार्ड और कारखानों में इंजनों और बोगियों को शंटिंग करने के लिए डीजल चालित शंटिंग इंजनों का ही उपयोग होता है। इन इंजनों का उपयोग होने से डीजल तो खर्च होता ही है, पर्यावरण भी प्रदूषित होता है।

अधुनिकीकरण की दिशा में रेलवे कर रहा प्रयोग

पूर्वोत्‍तर रेलवे के मुख्‍य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह ने कहा कि आधुनिकीकरण की दिशा में रेलवे द्वारा निरंतर नव प्रयोग किया जाता है। जिससे ऊर्जा बचत हो तथा पर्यावरण संरक्षण को बल मिले। इसीक्रम में गोंडा लोको शेड में एक बैट्री चालित लोकोमोटिव (इंजन) बनाया गया है। जिससे गोंडा लोको शेड में 100 लीटर प्रति दिन खर्च होने वाले डीजल की बचत हो रही है। पर्यावरण भी संरक्षित हो रहा है।

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