जानें मौनी अमावस्या के दिन क्या है स्नान के नियम और महत्त्व

माघ माह में स्नान-दान का विशेष महत्व होता है। इस माह में गंगा नदी तथा अन्य पवित्र नदियों में स्नान से पुण्य की प्राप्ति होती है। इस माह की अमावस्या तिथि को मौनी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। मौनी अमावस्या माघ माह के मुख्य स्नानों में माना जाता है। पंचांग गणना के अनुसार इस साल मौनी अमावस्या का स्नान 01 फरवरी, दिन मंगलवार को किया जाएगा। हालांकि अमावस्या तिथि 31 जनवरी को शाम को 02 बजकर 20 मिनट पर लगेगी, लेकिन उदया तिथि 01 फरवरी को होने के कारण अमावस्या का स्नान 01 फरवरी को किया जाएगा। मौनी अमावस्या पर ब्रह्म मुहूर्त में मौन रह कर स्नान का विधान है। आइए जानते हैं इस दिन स्नान के क्या हैं नियम और क्या है इसका महत्व….

1-मौनी अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त में, मौन रह कर स्नान करने का विधान है। मान्यता है कि इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में सभी देव गण पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। इस काल में स्नान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।

2- मौनी अमावस्या के दिन विशेष रूप से गंगा नदी या फिर अन्य पवित्र नदियों में स्नान किया जाता है। अगर नदियों में नहाना संभव न हो तो घर में ही नहाने के जल में गंगा जल मिला कर स्नान करना चाहिए।

3- मौनी अमावस्या के दिन नहाने जल में काले तिल डाल कर स्नान करने से श्री हरि विष्णु का आशीर्वाद मिलता है।

4- इस दिन स्नान के बाद तांबे के लोटे में गंगा जल और काले तिल मिला कर सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए। ऐसा करने से आरोग्य की प्राप्ति होती है।

5- स्नान के बाद साफ वस्त्र पहन कर, भगवान सूर्य और विष्णु जी के मंत्रों का उच्चारण करना चाहिए।

6- मौनी अमावस्या के दिन दान करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है। इस दिन तिल,गुड़, वस्त्र और कम्बल का दान किया जाता है।

7-मौनी अमावस्या के दिन सात्विक आचार-विचार ही रखने चाहिए। इस दिन भोजन में मांस-मदिरा के सेवन से बचें।

8- मौनी अमावस्या के दिन गायत्री मंत्र का जाप करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।

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