RBI नीतिगत ब्याज दरों में कम से कम 35 आधार अंकों की कर सकता है बढ़ोतरी, पढ़े पूरी खबर

देश में महंगाई चरम पर है। सरकार अपने स्तर पर इसे नीचे लाने की कोशिश कर रही है। सोमवार से आरबीआइ (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक भी शुरू होनी है। ऐसे में विशेषज्ञों का मानना है कि केंद्रीय बैंक फिर नीतिगत ब्याज दरों को बढ़ा सकता है। इसका संकेत गवर्नर शक्तिकांत दास पहले ही चुके हैं। समिति में लिए गए फैसलों की घोषणा बुधवार को की जाएगी।

ऐसी अटकलें हैं कि केंद्रीय बैंक नीतिगत ब्याज दरों में कम से कम 35 आधार अंकों की बढ़ोतरी कर सकता है। पिछले माह बुलाई गई आपातकालीन बैठक में एमपीसी ने 40 आधार अंकों की बढ़ोतरी की थी। विशेषज्ञ आने वाले माह में रेपो रेट (Repo Rate) में और वृद्धि की उम्मीद कर रहे हैं। उनका यह भी मानना है कि समिति की बैठक में सबसे ज्यादा चर्चा खुदरा मुद्रास्फीति पर होने की संभावना है। खुदरा महंगाई अप्रैल में लगातार सातवें माह आठ साल के उच्च स्तर 7.79 प्रतिशत पर पहुंच गई है। महंगाई की मुख्य वजह कच्चे तेल और कमोडिटी की कीमतों में तेजी है। थोक मूल्य आधारित मुद्रास्फीति भी 13 माह से दहाई अंक में बनी हुई है और यह अप्रैल में 15.08 प्रतिशत के रिकार्ड उच्चस्तर पर पहुंच गई है।

हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि रेपो रेट में कुछ वृद्धि होगी। हालांकि यह बता पाना बहुत कठिन है कि यह बढ़ोतरी कितनी होगी। बैंक आफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि एमपीसी में लिए गए फैसले ना केवल नीतिगत दरों के लिहाज से महत्वपूर्ण होंगे बल्कि इससे यह भी पता लगेगा कि विकास दर और महंगाई को लेकर केंद्रीय बैंक का क्या नजरिया है। उन्होंने कहा कि रेपो रेट में 25 से 35 आधार अंकों से ज्यादा की वृद्धि नहीं हो सकती है।

विशेषज्ञों ने कहा-आरबीआइ की मौद्रिक नीति समिति की बैठक में लिया जा सकता है 35 आधार अंकों की वृद्धि का फैसला

एक रिपोर्ट में बोफा सिक्योरिटीज ने कहा कि उसे उम्मीद है कि एमपीसी जून में रेपो दर में 40 आधार अंक और अगस्त में 35 आधार अंकों की वृद्धि करेगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि समिति मुद्रास्फीति के पूर्व अनुमान को ना केवल संशोधित कर सकता है बल्कि विकास अनुमान को बरकरार रख सकता है। हाउसिंग डाट काम, प्रापटाइगर डाट काम और मकान डाट काम के ग्रुप सीईओ ध्रुव अग्रवाल ने कहा, ‘हम मौजूदा समय में ब्याज दरों को बढ़ाने की आरबीआइ की मजबूरी को समझ सकते हैं। हालांकि रेपो रेट में वृद्धि धीरे-धीरे होनी चाहिए, क्योंकि यह रियल एस्टेट क्षेत्र की ग्रोथ को प्रभावित कर सकता है।’

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