पीआरटीसी कांट्रेक्ट मुलाजिमों की बीते नौ दिन से जारी हड़ताल के चलते लोगों को हो रही परेशानी

पंजाब रोडवेज, पनबस एवं पेप्सू रोड ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन (पीआरटीसी) कांट्रेक्ट मुलाजिमों की बीते नौ दिन से जारी हड़ताल के चलते लोगों को तो परेशानी हो रही है, लेकिन रोडवेज और पीआरटीसी को रोजाना नगदी प्राप्ति में कमी के बावजूद ज्यादा आर्थिक नुकसान नहीं उठाना पड़ रहा है। बसें न चलने से डीजल की खपत लगभग 90 फीसद कम हो गई है। हड़ताल पर चल रहे मुलाजिमों को वेतन अदायगी नहीं की जा रही है और बसों के रोड पर न चलने से टायरों एवं कलपुर्जों की घिसाई भी नहीं हो रही है। मौजूदा समय में बस संचालन में सबसे ज्यादा खर्च डीजल खरीद के ऊपर ही हो रहा है और कमाई का अधिकांश हिस्सा डीजल खरीदने में ही जाता है।

पंजाब रोडवेज जालंधर-एक डिपो में ही कॉन्ट्रैक्ट मुलाजिमों की हड़ताल के चलते रोजाना लगभग 5000 लीटर डीजल की खपत में कमी आ गई है। मार्केट में डीजल की मौजूदा कीमत के मुताबिक 5000 लीटर डीजल की कीमत लगभग साढ़े चार लाख रुपए बनती है। पंजाब रोडवेज के कुल 18 डिपो हैं और इंडिगो में बसों की संख्या एक जैसी नहीं है। कुछ डिपो में बसों की संख्या ज्यादा है तो कुछ मैं कम है। बावजूद इसके अंदाजा लगाया जा सकता है कि पंजाब रोडवेज का रोजाना लगभग 50 लाख रुपए से ज्यादा का डीजल का खर्च बच रहा है। 7000 से ज्यादा मुलाजिम हड़ताल पर हैं और उनका वेतन नहीं देना पड़ेगा। इसके अलावा बसों के संचालन के समय होने वाली टायरों एवं कलपुर्जों की घिसाई भी नहीं हो रही है।

पंजाब रोडवेज के अधिकारियों के मुताबिक सामान्य दिनों में रोडवेज को लगभग सवा करोड रुपए रोजाना की आमदनी होती थी, लेकिन हड़ताल की वजह से लगभग एक करोड रुपए आमदनी कम हो गई है। बावजूद इसके रोडवेज का आर्थिक नुकसान इतना ज्यादा नहीं है क्योंकि बसों का संचालन रुक जाने की वजह से खर्च भी रुक गया है।

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