पेट्रोल- डीजल के GST के दायरे में आने से आम आदमी पर क्या पड़ेगा प्रभाव, जानिए…

नई दिल्ली: पेट्रोल की कीमक कई शहरों में 100 रुपये प्रति लीटर के पार पहुंच चुकी है. आम जनता पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों से परेशान है. ऐसे में मांग उठ रही है कि अगर पेट्रोल डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाता है तो महंगाई का बोझ हल्का होगा. आज जीएसटी काउंसिल की होने वाली बैठक में पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने पर चर्चा हो सकती है. हालांकि केरल, कर्नाटक जैसे कुछ राज्य पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने के विरोध में हैं. इसका मुख्य कारण है राजस्व. यहां आपको बता रहे हैं कि पेट्रोल-डीजल पर सबसे ज्यादा टैक्स कौन-सा राज्य वसूलता है और किस राज्य की सबसे ज्यादा कमाई है.

पेट्रोल-डीजल पर सबसे ज्यादा टैक्स लेने वाले राज्य
पेट्रोल-डीजल पर सबसे ज्यादा वैट के रूप में टैक्स वसूलने वाला राज्य राजस्थान है. यहां पेट्रोल पर 36 फीसदी और डीजल पर 26 फीसदी वैट राज्य सरकार द्वारा लिया जाता है. इसके बाद मणिपुर, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, केरल की सरकारें सबसे ज्यादा टैक्स लेती हैं.

राज्यपेट्रोल पर VATडीजल पर VAT
राजस्थान36% VAT26% VAT
मणिपुर36.50% VAT22.50% VAT
कर्नाटक35% सेल्स टैक्स24% सेल्स टैक्स
मध्य प्रदेश33% VAT+Rs 4.5/L VAT+1% सेस23% VAT+Rs3/L VAT+1% सेस 
केरल30.08% सेल्स टैक्स+Rs 1/L एडिश्नल सेल्स टैक्स+1% सेस22.76% सेल्स टैक्स+Rs1/L एडिश्नल सेल्स टैक्स+1% सेस

पेट्रोल-डीजल पर सबसे ज्यादा कमाई करने वाले राज्य
पेट्रोल-डीजल पर सबसे ज्यादा टैक्स राजस्थान की सरकार लेती है, लेकिन सबसे ज्यादा कमाई करने वाला राज्य महाराष्ट्र है. साल 2020-21 में महाराष्ट्र को 25,430 करोड़ रुपये की कमाई हुई. इसके बाद उत्तर प्रदेश का नंबर है. हालांकि राजस्थान छठे नंबर पर है.

महाराष्ट्र25,430 करोड़ रुपये
उत्तर प्रदेश21,956 करोड़ रुपये
तमिलनाडु17,063 करोड़ रुपये
कर्नाटक15,476 करोड़ रुपये
गुजरात15,141 करोड़ रुपये
राजस्थान15,119 करोड़ रुपये
मध्य प्रदेश11,908 करोड़ रुपये
आंध्र प्रदेश11,041 करोड़ रुपये

GST के दायरे में आने पर VAT खत्म हो जाएगा
अगर पेट्रोल-डीजल के दाम जीएसटी के दायरे में आते हैं तो ये जनता के लिए बड़ी राहत लेकर आएगा. पूरे देश में पेट्रोल-डीजल एक रेट पर बिकेगा. जीएसटी में आने पर केंद्र की एक्साइज और राज्यों का वैट खत्म हो जाएगा. जीएसटी का सबसे बड़ा स्लैब 28 फीसदी का है जो आज लग रहे टैक्स से काफी कम है. हर राज्य में पेट्रोल-डीजल पर अलग अलग टैक्स है. यदि पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया गया, तो केंद्र और राज्य सरकारों को 4.10 लाख करोड़ के राजस्व से वंचित होना पड़ेगा. 

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