पीएम मोदी ने सीएम अशोक गहलोत की जम कर की तारीफ़, जानें क्या बोले

: राजस्थान में सियासी खींचतान के बीच पीएम मोदी ने सीएम अशोक गहलोत को सबसे सीनियर मुख्यमंत्री बताकर अटकलों को हवा दे दी है।पीएम मोदी ने जिस तरह से सीएम अशोक गहलोत की तारीफ की है, उसके अलग-अलग सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पीएम मोदी ने तारीफ कर इशारों में कांग्रेस के नवनिर्वाचित अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से बड़ा नेता गहलोत को बता दिया है। मोदी की तारीफ का दूसरा अर्थ यह निकाला जा रहा है कि सीएम गहलोत को निपटाने के लिए पीएम मोदी ने जानबूझकर तारीफ की है। सीएम गहलोत की तारीफ पर सोशल मीडिया पर भी यूजर्स कमेंट कर रहे हैं। एक यूजर्स ने लिखा- पीएम मोदी ने तारीफ कर गुलाम नबी आजाद को निपटा दिया। अब गहलोत की बारी है। एक यूजर्स ने लिखा-  जादूगर गहलोत ने मोदी पर कर दिया जादू। 

पीएम मोदी ने राजस्थान में की जनसभा

पीएम मोदी ने बासंवाड़ा जिले के मानगढ़ धाम में आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए कहा- मुख्यमंत्री नाते हम दोंनो को साथ-साथ काम करने का मौका मिला। उस समय मुख्यमंत्रियों में गहलोत की सबसे सीनियर हुआ करते थे। आज के कार्यक्रम में भी सीएम गहलोत सबसे सीनियर है। पीएम मोदी की तारीफ से राजस्थान बीजेपी के नेता भी सकते हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पीएम मोदी ने तारीफ कर इशारों में कांग्रेस के नवनिर्वाचित अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से बड़ा नेता गहलोत को बता दिया है। बता दें, सीएम गहलोत गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के वरिष्ठ पर्यवेक्षक है। गहलोत ने चुनाव प्रचार की कमान संभाल रखी है। ऐसे में सीएम गहलोत की तारीफ करने के राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं। 

गुलाम नबी आजाद के भी बांधे थे तारीफों के पुल

बता दें, पीएम मोदी ने राज्यसभा में विपक्ष के नेता रहे गुलाम नबी आजादी की विदाई के समय भी तारीफों के पुल बांधे थे। परिणाम यह हुआ कांग्रेस आलाकमान ने आजाद को दोबारा राज्यसभा नहीं भेजा। बाद में गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस छोड़ दी थी। जानकारों का कहना है कि पीएम मोदी की तारीफ सीएम अशोक गहलोत को भारी नहीं पड़ जाए। उल्लेखनीय है कि राजस्थान में मुख्यमंत्री पद को लेकर सियासी खींचतान जारी है। पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट जिद पर अड़े हुए है। जबकि सीएम गहलोत कुर्सी छोड़ने के लिए तैयार नहीं है। ऐसे में पीएम मोदी की तारीफ के राजनीतिक विश्लेषक अलग-अलग मायने निकाल रहे हैं। 

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