इस मामले में ज्योर्तिमठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने दिया ये बड़ा बयान कहा…

जोशीमठ में सामने आई आपदा को झारखंड के सम्मेद शिखरजी विवाद से जोड़ते हुए ज्योर्तिमठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने बड़ा बयान दिया है। शंकराचार्य ने कहा कि तीर्थस्थलों को पर्यटन स्थलों के रूप में विकसित किया जाएगा तो वही जोशीमठ जैसे परिणाम ही आएंगे। शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि झारखंड के पारसनाथ में सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल बनने से रोकने के लिए जैन समाज ने जो संघर्ष किया वो आदरयोग्य है। उन्होंने कहा कि हिंदुओं को भी तीर्थस्थलों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित नहीं होने देना होगा। उन्होंने कहा कि हिन्दू समाज समझे कि तीर्थ और पर्यटन स्थल अलग-अलग हैं। 

पर्यटन स्थल और तीर्थ में समझना होगा फर्क
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि जोशीमठ सहित उत्तराखंड को पर्यटन स्थल बना दिया गया। जमीन फट रही है। प्रकृति अपनी प्रतिक्रिया दे रही है। उन्होंने कहा कि जोशीमठ के लोगों में काफी आक्रोश है। उन्होंने कहा कि जोशीमठ में आज जो भी हो रहा है, वे अचानक नहीं हुआ। वर्षों से इसकी प्रक्रिया चल रही थी अब सामने आई है। उन्होंने कहा कि सरकारें जागी तो हैं लेकिन देर से। एक हिंदी दैनिक अखबार से बातचीत में अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि 2005 में यहां हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट लाया गया था। यहां 17 किमी लंबी सुरंग बनाई जानी थी। जोशीमठ के इलाके में लगातार धमाके किए जा रहे हैं। बता दें कि जोशीमठ में बीते कुछ दिनों से लगातार मकानों में दरारें आ रही है। जमीन धंस रही है। लोगों को मकान छोड़कर सुरक्षित जगाह पर पनाह लेना पड़ रहा है। सरकार ने भी लोगों को अविलंब मकान खाली कर सुरक्षित स्थानों पर जाने को कहा है। मकान ढहाए जाएंगे। 

जोशीमठ में लगातार दरक रही है जमीन, धंसान जारी
गौरतलब है कि इसरो द्वारा जारी नई सेटेलाइट तस्वीरों में दिखा है कि जोशीमठ की जमीन लगातार ढह रही है। जोशीमठ में तो लगातार मकानों में दरारें आ रही है। कुछ ऐसा ही झारखंड के रामगढ़ में भी हुआ है। रामगढ़ में गुरुवार देर रात अचानक कई मकानों की दीवारें धमाके के साथ फट गई। जमीन पर दरारें आ गई। दीवारें फटने लगी। जानकारों का मानना है कि रामगढ़ में भूमिगत खदानों में अनियंत्रित खनन की वजह से ऐसा हो रहा है। झारखंड के धनबाद में भी अक्सर भू-धंसान और सड़क पर दरारें पड़ने की खबर सामने आती है। मैदानों, सड़कों और घरों के आंगन में कभी भी धमाके के साथ गोफ का निर्माण हो जाता है। तालाबों से आग और धुआं निकलते देखा जा सकता है। 

सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल बनाने की हुई थी बात
बता दें कि राज्य सरकार की अनुशंसा पर केंद्र सरकार ने झारखंड के गिरिडीह जिला स्थित पारसनाथ पहाड़ी को इको सेंसेटिव जोन घोषित कर पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की अधिसूचना जारी की थी जिसका जैन समाज ने खूब विरोध किया। देशभर में जैन धर्मावलंबियों ने प्रदर्शन किया। आंदोलन के परिणामस्वरूप सरकार ने अपना फैसला वापस ले लिया और सम्मेद शिखरजी में पर्यटन संबंधी गतिविधियों पर रोक लगा दी। हालांकि, ये आदेश पारित होते ही आदिवासी भड़क उठे। उनका आरोप है कि सरकार ने उनके पारसनाथ पहाड़ अथवा मरांग बुरु को जैनियों के हाथ सौंप दिया। हालांकि, ये स्पष्ट नहीं है कि आदिवासी सरकार की पर्यटन नीति के साथ हैं या नहीं। वे पारसनाथ को मरांग बुरु घोषित करने की मांग कर रहे हैं।

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