इन राज्यों में बढ़ा ऑनलाइन ठगी का मामला, पढ़े पूरी ख़बर

देश में ऑनलाइन खरीद और लेनदेन में तेजी के साथ ही साइबर ठगी के मामलों में भी अप्रत्याशित रूप से वृद्धि हो रही है। पांच वर्ष पहले ऑनलाइन धोखाधड़ी की दर्ज शिकायतों की संख्या जहां 60 हजार से भी कम थी, अब बढ़कर लगभग एक लाख 84 हजार तक पहुंच गई है। जनसंख्या के आंकड़ों की यदि अनदेखी कर दी जाए तो सबसे ज्यादा ठगी उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, दिल्ली, बिहार, हरियाणा एवं मध्य प्रदेश के लोगों से होती है। दिल्ली की जनसंख्या अन्य राज्यों की तुलना में कम है। फिर भी ऑनलाइन धोखाधड़ी के मामले में देश में दिल्ली तीसरे पायदान पर खड़ी है।

राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन की रिपोर्ट बताती है कि पिछले पांच वर्षों के दौरान देश में ऑनलाइन धोखाधड़ी के मामले में तीन गुना से भी ज्यादा वृद्धि हुई है। इस हिसाब से प्रत्येक महीने औसतन 15 हजार 320 मामले दर्ज हो रहे हैं। ये ऐसे मामले हैं, जिनकी शिकायत साइबर सेल तक पहुंच सकी है। स्पष्ट है कि हजारों की संख्या में वैसे उपभोक्ता भी हैं, जो साइबर सेल तक नहीं पहुंच पाते हैं। हालांकि कुछ राज्यों ने अपने तरीके से इसे नियंत्रित भी किया है, लेकिन कई राज्यों में ऐसी ठगी अभी भी बड़ी तेजी से बढ़ रही है। बिहार में पिछले पांच वर्षों में लगभग छह गुना वृद्धि हुई है।

महाराष्ट्र में प्रारंभ में तो तेजी से मामले बढ़े किंतु पिछले दो वर्षों से संख्या स्थिर है। कोरोना काल में सबसे ज्यादा बिहार और यूपी में ऑनलाइन फ्रॉड के मामलों में वृद्धि हुई। दोनों राज्यों में इन्हीं दो वर्षों में सीधे संख्या दोगुनी हो गई।

सबसे अधिक शिक्षित लोग शिकार

नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़े बताते हैं कि ऑनलाइन ठगी का शिकार सबसे अधिक शिक्षित लोग होते हैं। इनकी संख्या 80 से 90 प्रतिशत तक है। इसका कारण है कि बैंकिंग सेवाओं और लेन-देन का ऑनलाइन उपयोग सबसे ज्यादा शिक्षित ही करते हैं। प्रतिदिन बड़ी संख्या में इंजीनियर, डॉक्टर, सरकारी कर्मचारी, सेवानिवृत्त, वकील नेता एवं यहां तक कि पुलिस भी ठगों के चंगुल से बच नहीं पाते। साक्षरता दर में अन्य राज्यों से आगे दिल्ली और केरल में जनसंख्या के अनुपात में ज्यादा लोग साइबर फ्राड के शिकार हो रहे हैं।

साइबर फ्रॉड रोकने के लिए केंद्र तत्पर

गृह मंत्रालय के निर्देश के मुताबिक, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत ऑनलाइन कारोबार करने वाले सारे संस्थानों को उपभोक्ता शिकायत निवारण व्यवस्था करना अनिवार्य है। शिकायत मिलने के एक महीने के भीतर समाधान देने का निर्देश है। इसके लिए राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल भी शुरू किया गया है। साथ ही एक टोल फ्री नंबर – 1930 भी जारी किया गया है। केंद्रीय कानून के आधार पर राज्यों में भी ऐसी व्यवस्था करने का निर्देश जारी किया गया है।

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