कांग्रेस के लिए अब रायबरेली लोकसभा सीट के लिए खड़ी होती दिख रही चुनौती…

राहुल गांधी की वायनाड लोकसभा सीट से सदस्यता समाप्त हो गई है। अमेठी सीट से पिछली बार हारने वाले राहुल गांधी को वायनाड से जीत मिली थी और वह संसद पहुंचे थे। अब राहुल गांधी दो साल की सजा पाने के बाद संसद की सदस्यता खो चुके हैं और यदि उनकी सजा समाप्त नहीं होती है या कम नहीं होती तो फिर 2031 तक वह चुनाव भी नहीं लड़ सकेंगे। ऐसे में गांधी परिवार से अब सोनिया गांधी ही सांसद बची हैं। लेकिन इस बीच रायबरेली सीट पर भी समीकरण बिगड़ते दिख रहे हैं। अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में सपा ने भी इस सीट से कैंडिडेट उतारने के संकेत दिए हैं।

ऐसा होता है तो फिर कांग्रेस के लिए मुश्किल वाली बात होगी। अखिलेश यादव ने पिछले दिनों ही कहा था कि रायबरेली और अमेठी में हमें वोट मिलता रहा है और हमारे विधायक चुने जाते रहे हैं। अब उनका कहना है कि लोग बड़े आदमियों को नहीं बल्कि बड़े दिल वालों को चुनाव जिताना चाहते हैं। इस तरह उन्होंने संकेत दिए हैं कि रायबरेली और अमेठी की जिन सीटों पर सपा कैंडिडेट ना उतारकर गांधी फैमिली को वॉकओवर देती थी, वह परंपरा अब समाप्त हो जाएगी। दरअसल रायबरेली की सरेनी, ऊंचाहार जैसी सीटों पर सपा के विधायक जीत हासिल करते रहे हैं।

सोनिया की जीत का घट रहा अंतर, सपा उतरी तो फंसेगा मैच

ऊंचाहार से तो मनोज पांडेय लगातार तीन बार से विधायक चुने जा रहे हैं। अखिलेश सरकार में वह कैबिनेट मंत्री भी थे। इसके अलावा रायबरेली जिले में यादव, कुर्मी, मौर्य जैसी ओबीसी बिरादरियों की अच्छी संख्या है। माना जाता है कि सपा के यहां कैंडिडेट न देने से गांधी फैमिली को बड़ी जीत मिलती रही है। ऐसे में यदि सपा का कैंडिडेट उतरता है तो कुछ वोट जरूर कटेंगे। इसके अलावा भाजपा ने 2014 और 2019 में यहां अच्छे वोट हासिल किए थे। इस तरह सपा यदि यहां वोट काट ले तो फिर कांग्रेस के लिए गांधी परिवार के गढ़ में ही मुश्किल खड़ी हो सकती है।

रायबरेली की 4 विधानसभा सीटें हैं सपा के पास

सोनिया गांधी को रायबरेली में 2019 के आम चुनाव में 1 लाख 67 हजार वोटों से जीत मिली थी। उन्हें कुल 5 लाख 34 हजार वोट मिले थे, जबकि भाजपा के दिनेश प्रताप सिंह को 3,67,740 मत मिले थे। इस तरह सोनिया गांधी की जीत का अंतर काफी कम हो गया, जो कभी 3 लाख के आसपास रहा करता था। एक तरफ जीत का अंतर डेढ़ लाख के करीब आ गया है तो वहीं सपा यदि मुकाबले में आती है तो फिर मैच फंस सकता है। यही नहीं बीते साल हुए विधानसभा चुनाव में भी जिले की 6 सीटों में से 4 पर सपा को जीत मिली थी, जबकि भाजपा को रायबरेली सदर और सलोन जैसी दो सीटों पर ही जीत मिली। कांग्रेस का तो यहां खाता भी नहीं खुल सका था।

Related Articles

Back to top button
T20: भारत का क्लीन स्वीप जानिये कितने खतरनाक हैं कबूतर। शतपावली: स्वस्थ रहने का एक आसान उपाय भारतीय मौसम की ALERT कलर कोडिंग In Uttar Pradesh Call in Emergency