नोटबंदी और कोरोना के झटके के बावजूद बड़े बैंक में तब्दील हो सकते हैं स्माल फाइनेंस बैंक, पढ़े पूरी खबर

RBI की तरफ से दूर दराज के इलाकों में रहने वाले वंचित, असंगठित क्षेत्र के कामगारों और ग्रामीणवासियों तक बैंकिंग सेवा पहुंचाने के लिए पहली बार 10 कंपनियों को स्माल फाइनेंस बैंक (एसएफबी) का लाइसेंस दिया गया था। नोटबंदी और कोरोना के झटके के बावजूद अमूमन ये सारे एसएफबी अभी एक मजबूत वित्तीय निकाय में तब्दील हो चुके हैं और इनमें से कई शेयर बाजार में भी सूचीबद्ध हो चुके हैं। आरबीआइ के पूर्व डिप्टी गवर्नर आर गांधी का कहना है कि ये बैंक देश की इकोनोमी में और बड़ी भूमिका निभाने को तैयार हैं।

अत्याधुनिक तकनीकी को अपनाने, लागत को काफी कम रखने और जरूरतमंदों के हिसाब से बैंकिंग उत्पाद तैयार करने की वजह से देश के स्माल फाइनेंस बैंकों का विस्तार तेजी से होने की संभावना है।स्माल फाइनेंस बैंक और इनके भविष्य पर आयोजिक एक सेमिनार को संबोधित करते हुए प्रमुख एसएफबी इक्विटास के एमडी पीएन वासुदेवन का कहना है कि हाल की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत को अगर वर्ष 2025-26 तक पांच ट्रिलियन डालर की इकोनामी बनना है तो हमारी सालाना आर्थिक विकास दर औसतन 17 फीसद होनी चाहिए। इस विकास दर को हासिल करने के लिए बैंकिंग कर्ज में भी औसतन 23 से 25 फीसद की ग्रोथ रेट चाहिए। जबकि अभी हमारी बैंकिंग कर्ज की रफ्तार तकरीबन एक समान है।

पारंपरिक तौर पर कर्ज देने वाले बैंकिंग संस्थान कई वजहों से कर्ज की रफ्तार नहीं बढ़ा पा रहे हैं। ऐसे में हमारा मानना है कि अगर भारत को पांच ट्रिलियन डालर की इकोनामी बनानी है तो एसएफबी को बड़ी भूमिका निभानी होगी। जन स्माल फाइनेंस बैंक के एमडी व सीईओ अजय कंवल का कहना है कि एसएफबी का महत्व इस बात से समझा जाना चाहिए कि वो वहां बैंकिंग सुविधा पहुंचा रहे हैं जहां अभी तक अधिकांश व्यवस्थाएं नहीं पहुंच पा रही थी। बैंकिंग सेवा के लिहाज से सबसे चुनौतीपूर्ण समझे जाने वाले सेक्टर को वे अपनी सेवाएं दे रहे हैं। साथ ही सिर्फ पांच वर्षों में ये बैंक ना सिर्फ बड़े स्तर पर तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं बल्कि भरोसेमंद काम कर रहे हैं।

अगर देखा जाए तो 99 फीसद से ज्यादा कर्ज की साइज 25 लाख रुपये से कम है। कई एसएफबी ऐसे हैं जिनका अधिकांश संचालन ग्रामीण इलाकों में है। माइक्रोफाइनेंस इंस्टीट्यूशंस नेटवर्क (एमएफआइएन) के सीईओ आलोक मिश्रा का कहना है कि एसएफबी के बढ़ते भरोसे का नतीजा है कि अब पेंशन भोगी वर्ग भी उनके साथ खाता खोलना चाहते हैं। ऐसे में देश के वित्तीय व्यवस्था के लिए इनकी अहमियत और तेजी से बढ़ने की संभावना है। इन दोनों विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले दिनों में एसएफबी एक बड़े वित्तीय संस्थान में तब्दील हो सकते हैं।

हाल ही में यह देखा गया है विवादित शहरी सरकारी बैंक पंजाब व महाराष्ट्र सहकारी बैंक को आरबीआइ ने एक एसएफसी को ट्रांसफर करने का फैसला किया है। सेंट्रम फाइनेंशिएल सर्विसेज और भारतपे के गठबंधन को पीएमसी बैंक सौंपा गया है जो बताता है कि नियामक एजेंसी का भरोसा भी स्माल फाइनेंस बैंकों को लेकर मजबूत हुआ है।

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