जानिए डायनासोर का खात्मा कैसे हुआ?
धरती पर मौजूद डायनासोर का खात्मा कैसे हुआ? सदियों से लोगों के बीच यह सवाल चर्चा का विषय बना हुआ है। वैज्ञानिक मानते हैं कि धरती पर उल्कापिंडों की बारिश या ज्वालामुखी विस्फोट की वजह से डायनासोर का अस्तित्व समाप्त हुआ था। हालांकि, अब इस बीच शोधकर्ताओं ने चौंकाने वाला दावा किया है। उन्होंने कहा कि दो जहरीली गैसों से डायनासोर की मौत जुड़ी है। अमेरिका के डार्टमाउथ कॉलेज के दो भूवैज्ञानिक ब्रेनहिन केलर और अलेक्जेंडर कॉक्स ने यह निष्कर्ष निकाला है।
उन्होंने इस सवाल की जांच करने के लिए एक नया तरीका विकसित किया है। वैज्ञानिकों ने कंप्यूटर मॉडल के माध्यम से डायनासोर के मौत की वजह से खोजने का दावा किया है। एक प्रसिद्ध साइंस जर्नल में यह शोध प्रकाशित किया गया है। डायनासोर की मौत के मामले में ज्यादातर अध्ययन की शुरुआत यह मानकर की जाती है कि 66 मिलियन साल पहले क्षुद्रग्रह के हमले या ज्वालामुखी विस्फोट की वजह से विल्पुत हुए थे।
डायनासोर की विलुप्त होने को लेकर केलर और कॉक्स संभवत: कम मानवीय पूर्वाग्रह के साथ शोध की शुरुआत करना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने कंप्यूटर मॉडलिंग की मदद ली। डेटा प्राप्त करने के लिए उन्होंने समुद्र के नीचे खोदी गई तलछट के बेलनाकार कोर को देखा। वो फोरामिनिफेरा नामक सूक्ष्मजीवों से भरी धरती की परते हैं। तलछट समय के साथ समुद्र की अम्लता और पर्यावरण में कार्बन और सल्फर डाइऑक्साइड की मात्रा के बारे में जानकारी देते हैं।
इस वजह से हुई थी मौत
अमेरिकन एसोसिएशन फॉर द एडवांसमेंट ऑफ साइंस के जर्नल में अध्ययन प्रकाशित किया गया है। इस अध्ययन में ब्रेनहिन केलर और अलेक्जेंडर कॉक्स ने दावा किया है कि कार्बन और सल्फर डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ने से डायनासोर की मौत हुई थी।
उन्होंने दावा किया है कि इस दो गैसों की विनाश की भूमिका थी। इससे डायनासोर और धरती पर 75 फीसदी जीवन नष्ट हो गया था। हालांकि के वैज्ञानिक के बीच इस बात पर बहस छिड़ी है कि क्या वे किसी क्षुद्रग्रह के हमले से या ज्वालामुखी विस्फोटों की वजह से प्रभावित हुए थे।
बेहद कम प्रभाव था क्षुद्रग्रह के हमले का
केलर और कॉक्स ने अपने अध्ययन को पुख्ता करने के लिए अलग-अलग परिदृश्यों का अनुकरण किया। उन्होंने समुद्री कोर से मिले सबूतों को देखते हुए संभावनाओं की गणना के लिए मार्कोव चेन मॉन्टे कार्लो स्टेटिक्स मॉडल का इस्तेमाल किया है।
उन्होंने जांच में पाया कि ज्वालामुखियों से निकलने वाली गैस स्पष्टीकरण पर्यावरणीय परिवर्तनों के लिए पर्याप्त थी जो डायनासोर के विनाश की वजह बनें। उन्होंने दावा किया है कि इस इस बीच मेक्सिको की खाड़ी में एक क्षुद्रग्रह गिरने से विशाल गड्ढा बना, लेकिन इसका बेहद कम प्रभाव पड़ा।