निसार: जलवायु परिवर्तन से निपटने में अहम साबित होगा नासा-इसरो का रडार मिशन

पेड़ अपने तने में कार्बन ग्रहण करते हैं और वेटलैंड की परत में कार्बन पाया जाता है। ऐसे में जंगलों की कटाई और वेटलैंड के खत्म होने से पर्यावरण में कितनी तेजी से कार्बन डाइ ऑक्साइड का उत्सर्जन हो रहा है।

भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा संयुक्त रूप से पृथ्वी पर नजर रखने वाला एक रडार मिशन लॉन्च करेंगे। जिसे NISAR नाम दिया गया है। अब बताया जा रहा है कि यह रडार मिशन जलवायु परिवर्तन से निपटने में बेहद अहम साबित हो सकता है। दरअसल इस रडार मिशन से धरती पर मौजूद जंगलों और वेटलैंड (आर्द्रभूमि) पर बेहतर तरीके से नजर रखी जा सकेगी। इससे पता चलेगा कि जंगलों और आर्द्रभूमि का वैश्विक कार्बन चक्र पर क्या असर हो रहा है और इससे कैसे जलवायु परिवर्तन हो रहा है।

वैज्ञानिकों को मिलेगा बेहतर डाटा
बता दें कि NISAR 2024 की शुरुआत में लॉन्च किया जाएगा। जलवायु परिवर्तन से निपटने में हमारे जंगल और आर्द्रभूमि काफी अहम है। इन्हीं की वजह से हमारे पर्यावरण में ग्रीनहाउस गैसों का नियमन होता है। NISAR रडार मिशन को धरती की कक्षा में लॉन्च किया जाएगा जो हर 12 दिन में पूरी धरती और ग्लेशियर का विश्लेषण करेगा। इस विश्लेषण से मिले डाटा से वैज्ञानिकों को पता चलेगा कि जंगल और वेटलैंड पर्यावरण में कार्बन के नियमन में कितने अहम हैं। नासा ने एक प्रेस विज्ञप्ति में यह जानकारी दी है।

पेड़ और आर्द्रभूमि क्यों है अहम
पेड़ अपने तने में कार्बन ग्रहण करते हैं और वेटलैंड की परत में कार्बन पाया जाता है। ऐसे में जंगलों की कटाई और वेटलैंड के खत्म होने से पर्यावरण में कितनी तेजी से कार्बन डाइ ऑक्साइड का उत्सर्जन हो रहा है, यह NISAR से आसानी से पता चल सकेगा। NISAR प्रोजेक्ट से जुड़े वैज्ञानिक पॉल रोसेन ने बताया कि NISAR प्रोजेक्ट पर लगी रडार तकनीक से पृथ्वी पर जमीन और ग्लेशियर में आ रहे बदलावों का बेहतर तरीके से पता लगाया जा सकेगा। NISAR प्रोजेक्ट से जुड़े शीर्ष वैज्ञानिक अनूप दास ने बताया कि वैश्विक तौर पर हम नहीं जानते कि कार्बन उत्सर्जन का सही कारण क्या है। ऐसे में यह प्रोजेक्ट इसे समझने में काफी मदद कर सकता है।

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