प्रदेश के नगर निकायों में ओबीसी आरक्षण बढ़ेगा। एकल सदस्यीय समर्पित आयोग ने सभी नगर निकायों में मेयर, डिप्टी मेयर, चेयरमैन, पालिकाध्यक्ष, नगर पंचायत अध्यक्ष से लेकर पार्षद, सभासद, वार्ड मेंबर तक की सीटों को बढ़ाने की सिफारिश की है।
अब सरकार इस रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद आगे बढ़ेगी। शुक्रवार को मुख्यमंत्री आवास में जस्टिस (सेनि) बीएस वर्मा के नेतृत्व में आयोग ने अपनी रिपोर्ट सीएम पुष्कर सिंह धामी को सौंपी। इस रिपोर्ट में उन्होंने नौ नगर निगम, 41 नगर पालिका और 45 नगर पंचायतों में मेयर, चेयरमैन, पालिकाध्यक्षों के ओबीसी आरक्षण के हिसाब से सीटें बढ़ाने की सिफारिश की है।
नगर निगमों में मेयर का आरक्षण 14 से बढ़कर 18.05 प्रतिशत, नगर पालिकाओं में अध्यक्ष का आरक्षण 14 से बढ़कर 28.10 और नगर पंचायतों में अध्यक्ष का आरक्षण 14 से बढ़कर 38.97 प्रतिशत हो रहा है। हालांकि, समिति ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के हिसाब से कहीं भी कुल सीटों के मुकाबले आरक्षित सीटों की संख्या 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होने दी है।
इस वजह से ओबीसी आरक्षण अधिक होने के बावजूद कई निकायों में सीटें कम दी गई हैं। अहम बात ये है कि नगर निगमों में इस बार मेयर की एक के बजाए दो सीटें ओबीसी के लिए आरक्षित होंगी। नगर पालिकाओं में अध्यक्ष की 16 और नगर पंचायतों में अध्यक्ष की 82 सीटें ओबीसी प्रत्याशियों के लिए आरक्षित करने की सिफारिश की गई है।
एकल सदस्यीय समर्पित आयोग का किया था गठन
इसी प्रकार, नगर निगमों में पार्षद की 82, नगर पालिकाओं में सभासद की 102 और नगर पंचायतों में 54 सीटें वार्ड मेंबर के लिए आरक्षित करने की संस्तुति की गई है। सरकार ने वर्ष 2022 में जस्टिस बीएस वर्मा की अध्यक्षता में एकल सदस्यीय समर्पित आयोग का गठन किया था।
इस अवसर पर शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल, सचिव आरके सुधांशु, अपर सचिव एवं निदेशक शहरी विकास नितिन भदौरिया, अपर निदेशक शहरी विकास एलएन मिश्रा, सहायक निदेशक विनोद कुमार और उप निदेशक पंचायती राज मनोज तिवारी भी मौजूद रहे।
अब क्या होगा
नगर निकाय चुनाव की तैयारी में जुटी सरकार अब इस रिपोर्ट का अध्ययन करेगी। इसके बाद शहरी विकास विभाग को रिपोर्ट के हिसाब से आरक्षण तय करने के निर्देश देगी। शहरी विकास विभाग आरक्षण रोस्टर तय करेगा। इसके बाद राज्य निर्वाचन आयोग को आरक्षण का रिकॉर्ड भेजा जाएगा, जिसके आधार पर आयोग निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी करेगा।
एकल सदस्यीय समर्पित आयोग ने ओबीसी सर्वेक्षण की जो रिपोर्ट सौंपी है, सरकार उसका अध्ययन कर रही है। निकायों में कुल आरक्षण 50 फीसदी से अधिक नहीं हो सकता है। सभी बिंदुओं पर रिपोर्ट देखने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।