मंगलवार के दिन हनुमान जी के इन मंत्रों का करें जाप, सभी संकटों से मिलेगी मुक्ति

हिंदू धर्म में सप्ताह के सभी दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित है। मंगलवार के दिन भगवान हनुमान जी की पूजा और व्रत करने का विधान है। भगवान हनुमान जी को संकट मोचन कहा गया है। मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान हनुमान जी की विधिपूर्वक पूजा करने से इंसान को दुख, संकट, भय और क्रोध से मुक्ति मिलती है। साथ ही कुंडली में व्याप्त अशुभ ग्रहों का प्रभाव समाप्त हो जाता है।

यदि आप भी राम भक्त हनुमान जी का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं, तो मंगलवार के दिन पूजा के दौरान इन मंत्रों का जाप अवश्य करें। मान्यता के अनुसार, इन विशेष मंत्रों का जाप करने से इंसान के दुख और संताप दूर होते हैं और जीवन में खुशियों का आगमन होता है।

मंगल वैदिक मंत्र

ऊँ अग्निमूर्धादिव: ककुत्पति: पृथिव्यअयम अपा रेता सिजिन्नवति।

मंगल तांत्रिक मंत्र

ऊँ हां हंस: खं ख:

ऊँ हूं श्रीं मंगलाय नम:

ऊँ क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम:

मंगल एकाक्षरी बीज मंत्र

ऊँ अं अंगारकाय नम:

ऊँ भौं भौमाय नम:।।

मंगल ग्रह मंत्र

ऊँ धरणीगर्भसंभूतं विद्युतकान्तिसमप्रभम ।

कुमारं शक्तिहस्तं तं मंगलं प्रणमाम्यहम ।।

मंगल गायत्री मंत्र

ॐ अंगारकाय विद्महे शक्ति हस्ताय धीमहि तन्नो भौमः प्रचोदयात्।।

मंगल ग्रह कवच

रक्तांबरो रक्तवपुः किरीटी चतुर्भुजो मेषगमो गदाभृत् ।

धरासुतः शक्तिधरश्च शूली सदा ममस्याद्वरदः प्रशांतः ॥

अंगारकः शिरो रक्षेन्मुखं वै धरणीसुतः ।

श्रवौ रक्तांबरः पातु नेत्रे मे रक्तलोचनः ॥

नासां शक्तिधरः पातु मुखं मे रक्तलोचनः ।

भुजौ मे रक्तमाली च हस्तौ शक्तिधरस्तथा ॥

वक्षः पातु वरांगश्च हृदयं पातु लोहितः।

कटिं मे ग्रहराजश्च मुखं चैव धरासुतः ॥

जानुजंघे कुजः पातु पादौ भक्तप्रियः सदा ।

सर्वण्यन्यानि चांगानि रक्षेन्मे मेषवाहनः ॥

या इदं कवचं दिव्यं सर्वशत्रु निवारणम् ।

भूतप्रेतपिशाचानां नाशनं सर्व सिद्धिदम् ॥

सर्वरोगहरं चैव सर्वसंपत्प्रदं शुभम् ।

भुक्तिमुक्तिप्रदं नृणां सर्वसौभाग्यवर्धनम् ॥

रोगबंधविमोक्षं च सत्यमेतन्न संशयः ॥

मंगल स्तोत्र

धरणीगर्भसंभूतं विद्युतेजसमप्रभम ।

कुमारं शक्तिहस्तं च मंगलं प्रणमाम्यहम ।।

ऋणहर्त्रे नमस्तुभ्यं दु:खदारिद्रनाशिने ।

नमामि द्योतमानाय सर्वकल्याणकारिणे ।।

देवदानवगन्धर्वयक्षराक्षसपन्नगा: ।

सुखं यान्ति यतस्तस्मै नमो धरणि सूनवे ।।

यो वक्रगतिमापन्नो नृणां विघ्नं प्रयच्छति ।

पूजित: सुखसौभाग्यं तस्मै क्ष्मासूनवे नम:।।

प्रसादं कुरु मे नाथ मंगलप्रद मंगल ।

मेषवाहन रुद्रात्मन पुत्रान देहि धनं यश:।।

Related Articles

Back to top button
T20: भारत का क्लीन स्वीप जानिये कितने खतरनाक हैं कबूतर। शतपावली: स्वस्थ रहने का एक आसान उपाय भारतीय मौसम की ALERT कलर कोडिंग In Uttar Pradesh Call in Emergency