देश में बढ़ता जा रहा है प्रोसेस्ड फूड का उपयोग,सेहत के लिहाज से चिंता का विषय

देश में खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता को नियंत्रित करने वाली सबसे बड़ी एजेंसी ‘फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथारिटी आफ इंडिया’ यानी एफएसएसएआइ को लगभग आठ साल का समय लगा इस बात का निर्णय लेने के लिए कि सभी प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट पर स्वास्थ्य सुरक्षा की चेतावनी अनिवार्य होनी चाहिए। खासकर नमक, चीनी और फैट की मात्रा कितनी है और यदि ज्यादा है तो उससे होने शारीरिक नुकसान का उल्लेख भी होना चाहिए।

हालांकि यह एक अच्छा निर्णय है, लेकिन इसको लागू करने से पहले ही इसकी भाषा को लेकर खाद्य उद्योगों और उपभोक्ता संगठनों के बीच वाद विवाद शुरू हो गया है। एक पक्ष इसको उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी बता रहा है, जबकि ऐसे खाद्य पदार्थ का निर्माण करने वाले दूसरे पक्ष को यह डर सता रहा है कि यदि स्वास्थ्य संबंधी चेतावनी दी गई तो उनकी बिक्री पर असर पड़ेगा। इसलिए वो इसका विरोध कर रहे हैं। इनका मानना है कि फूड लेबलिंग में केवल मात्रा का उल्लेख होना चाहिए, उससे होने वाले नुकसान के बारे में जिक्र न हो। यहां इस बात को समझा जाना चाहिए कि हार्ट, ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और कई अन्य बीमारियों के बढ़ते ग्राफ का संबंध हमारे गलत खानपान से है। खाने में नमक, चीनी और फैट की ज्यादा मात्रा लोगों के लिए एक धीमे जहर का काम कर रही है और यह बहुत घातक है। ऐसे में स्वास्थ्य सुरक्षा चेतावनी संबंधी फूड लेबलिंग का होना समय की मांग है और इसका कतई विरोध नहीं होना चाहिए।

उल्लेखनीय है कि विश्व के कई देशों ने अपने यहां खराब जीवनशैली से होने वाली बीमारियों के बढ़ते प्रकोप से बचने के लिए फूड प्रोडक्ट पर खाने की मात्रा और उससे स्वास्थ्य को होने वाले नुकसान के बारे में जानकारी देनी शुरू कर दी है। इन देशों में ब्राजील, पेरू, चिली, उरूग्वे, इजराइल जैसे देश शामिल हैं। चिली ऐसा पहला देश है जहां वर्ष 2106 में इस प्रकार की लेबलिंग की शुरूआत हुई। बहुत से देशों में इस प्रकार की लेबलिंग को अनिवार्य रूप से लागू करने के लिए सरकार पर दबाव है और यह कार्य जोरों पर चल रहा है।

यह बात भी सामने आ रही है कि स्वास्थ्य चेतावनी देने वाले देशों में आधुनिक जीवन शैली से जुड़ी बीमारियों में कमी आ रही है। वर्ष 2018 में ब्राजील और चिली में हुई एक स्टडी में पता चला कि स्वास्थ्य सुरक्षा संबंधी चेतावनी लिखने के बाद लोगों ने डिब्बाबंद खाना कम किया है। डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट के अनुसार विश्वभर में हर साल 4.1 करोड़ लोगों की होने वाली मौतों में से लगभग 70 प्रतिशत का कारण प्रोसेस्ड फूड के ज्यादा सेवन से होने वाली बीमारियां हैं। चिंता की बात ये है कि इन मौतों में युवाओं का प्रतिशत तेजी से बढ़ रहा है। वर्ष 2020 में एफएसएसएआइ की एक अध्ययन रिपोर्ट में बताया गया था कि वर्ष 2021 के अंत तक भारत प्रोसेस्ड फूड की खपत के मामले में चीन और अमेरिका के बाद तीसरा बड़ा देश बन जाएगा। रिपोर्ट में बताया गया कि लगभग 56 प्रतिशत बच्चे नमकीन और मीठे प्रोसेस्ड फूड का इस्तेमाल करते हैं और उनको इसकी लत लग गई है।

अध्ययन के दौरान प्रोसेस्ड फूड के बहुत से नमूने जांच के लिए उठाए गए और पता चला कि लगभग 62 प्रतिशत में नमक, मीठा और फैट निर्धारित मात्रा से ज्यादा था। चिंताजनक बात यह भी कि इसकी बढ़ती मांग के चलते देश में इसका व्यापार हर साल 24 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है। वैसे हमारे देश में किसी भी उत्पाद पर किसी भी तरह की चेतावनी को स्पष्ट रूप से दर्शाना आसान नहीं है। उल्लेखनीय है कि बीते वर्षों के दौरान तंबाकू के उत्पादों पर चेतावनी को स्पष्ट रूप से दर्शाए जाने के लिए लंबा समय तैयारी में लिया गया।

विशेषज्ञों की मदद से इसके हर पहलू पर विचार-विमर्श किया गया, मसलन किसकिस रंग का इस्तेमाल होना है, साइज कितना बड़ा हो, कितने भाग में लिखित चेतावनी हो, कितने में तस्वीर के साथ तंबाकू का खतरा दिखाया जाए आदि। तमाम तथ्यों पर विचार-विमर्श करने के बाद तंबाकू के उत्पादों पर चेतावनी की रूपरेखा तैयार हुई और उसको लागू किया गया। प्रोसेस्ड फूड पर भी स्वास्थ्य सुरक्षा चेतावनी संबंधी फूड लेबलिंग बनाने के लिए इसी प्रकार की तैयारी चल रही है।

फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथारिटी आफ इंडिया ने इसके लिए इंडियन इंस्टीट्यूट आफ मैनेजमेंट अहमदाबाद की सेवाएं ली हैं। एक अध्ययन के जरिये यह मालूम किया जा रहा है कि आम लोग किस तरह की सुरक्षा चेतावनी किस तरीके से प्रोसेस्ड फूड पर देखना चाहते हैं। स्वास्थ्य संबंधी इस चेतावनी में क्या- क्या जानकारी आम लोग जानना चाहते हैं। जैसे ही इसकी रिपोर्ट सामने आती है, यह प्राधिकरण प्रोसेस्ड फूड पर स्वास्थ्य सुरक्षा संबंधी लेबलिंग की रूपरेखा को जारी कर देगा। ये संकेत दिए गए हैं कि ब्रेड, डिब्बाबंद खानपान की वस्तुएं, मिठाइयां, विविध प्रकार के ड्रिंक आदि के पैकेट पर स्वास्थ्य सुरक्षा चेतावनी के लेबल लगाए जाएंगे।

इसमें कोई दो राय नहीं कि देश में गलत खानपान से होने वाली बीमारियों का ग्राफ तेजी से बढ़ता जा रहा है। ऐसे में सरकार की ओर से प्रोसेस्ड फूड पर स्वास्थ्य सुरक्षा संबंधी लेबलिंग चेतावनी को लागू करना एक अहम कदम होगा। देश की भावी पीढ़ी को कई तरह की बीमारियों से बचाने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका होगी। समझना यही है कि इसको लागू करने पर किसी तरह की राजनीति या फिर नफा-नुकसान की कोई गुंजाइश नहीं होनी चाहिए।

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