अपनी आंखों को ज़हरीली हवा से बचाने के लिए जरुर अपनाए ये टिप्स
देश के कई शहरों में प्रदूषण का स्तर अब भी ख़तरनाक स्तर पर बना हुआ है। जिसकी वजह से ज़ुकाम, गले में ख़राश, खांसी और सांस से जुड़ी बीमारियों में भी वृद्धि हुई है। ज़हरीली हवा सिर्फ फेफड़ों को ही नहीं बल्कि दिल, किडनी, दिमाग़ के साथ आंखों को भी प्रभावित करती है। कोविड-19 और प्रदूषण से बचने के लिए लोग मास्क ज़रूर पहन रहे हैं, जिससे आपके फेफड़े और अन्य अंगों को नुकसान कम पहुंचेगा, लेकिन आंखों को बचाने के लिए क्या करना है ये कोई नहीं जानता।
प्रदूषण का आंखों पर किस तरह असर पड़ता है और इससे कैसे बचा जा सकता है, ये जानने के लिए हमने एक्सपर्ट्स से बातचीत की।
आंखों किस-किस तरह नुकसान पहुंचा सकती है ज़हरीली हवा?
गुरुग्राम के पारस हॉस्पिटल में ओफ्थल्मोलॉजी डिपार्टमेंट के हेड, डॉ. ऋषि भारद्वाज का कहना है, “प्रदूषण का क़हर हमारे शहरों और कस्बों में फैल रहा है। सामान्य तौर पर लोगों का मानना है कि प्रदूषण ज़्यादातर हमारे फेफड़ों को प्रभावित करता है, लेकिन यह जान लेना ज़रूरी है कि यह प्रदूषण हमारी आंखों के स्वास्थ्य के लिए भी गंभीर रूप से हानिकारक है।
जैसे ही ज़हरीले प्रदूषक आंख की बाहरी सतह, विशेष रूप से कॉर्निया और कंजाक्टिवा के संपर्क में आते हैं, तो इससे आंखों में खुजली, जलन महसूस होने लगती है। कई बार जलन इतनी तेज़ होती ही है कि आंखें लाल हो जाती हैं। आंखों को लगातार रगड़ने से कॉर्निया पतला हो सकता है। विशेष रूप से बच्चे अगर लंबे समय तक आंखों को रगड़ते हैं, तो इससे कॉर्नियल पतला हो सकता है और केराटोकोनस नाम की आंखों से जुड़ी गंभीर बीमारी हो सकती है। जिसकी वजह से आंखें कमज़ोर हो जाती हैं और धुंधला दिखने के साथ पास की दृष्टि ख़राब होती है।
साथ ही आपको ड्राई आइज़ की दिक्कत शुरू हो सकती है, जिससे एक बार फिर कोर्निया को नुकसान पहुंचता है। विशेष रूप से सर्दियों में स्मॉग के कारण गंभीर रूप से आंखें ड्राई हो सकती हैं और जलन के साथ पानी निकलने के लक्षण पैदा हो सकते हैं। ऐसे में आंखों में संक्रमण होने का ख़तरा भी बढ़ जाता है।
ऑर्बिस इंडिया के कंट्री डायरेक्टर, डॉ. ऋषि राज बोरह का कहना है कि “वायु प्रदूषण हमारी आंखों को भी प्रभावित कर सकता है, यहां तक कि चश्मा पहनने वालों को भी वायु प्रदूषण प्रभावित करता है। कहा जाता है कि जो लोग नियमित रूप से प्रदूषित हवा के संपर्क में रहते हैं, उन्हें आंखों से पानी आने या आंखों में जलन का अनुभव होता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि इससे ड्राई आई सिंड्रोम भी हो सकता है। दिल्ली और एनसीआर जैसे शहर में फिर से वर्क-फ्रॉम-होम मोड में चले गए हैं, इसलिए संभावना है कि ड्राई आई सिंड्रोम की घटनाएं बढ़ सकती हैं। एम्स, नई दिल्ली द्वारा 2015 के एक अध्ययन से पता चलता है कि दिल्ली में 10 से15% लोग हवा में उच्च स्तर के प्रदूषकों के लगातार संपर्क में रहने के कारण क्रोनिक जलन और ड्राई आई सिंड्रोम से पीड़ित हैं। आंखों का लाल होना, रौशनी न झेल पाना, दर्द, हवा और धुएं के प्रति संवेदनशीलता ड्राई आंख सिंड्रोम के कुछ सामान्य लक्षण हैं।”
प्रदूषण से आंखों को कैसे बचाएं?
डॉ. ऋषि भारद्वाज ने बताया कि दूषित हवा से आंखों को सुरक्षित रखने के लिए ज़रूरी है कि लोग बाहर निकलते समय धूप का चश्मा पहनने, खुद को हाइड्रेट रखें, आंखों को ज़ोर से रगड़ने से बचें, अपनी आंखों को छूने से पहले हाथ धोना न भूलें, लैपटॉप और मोबाइल का उपयोग कम से कम करें और आखों को झपकना न भूलें। हर 20 मिनट बाद 20 सेकेंड के लिए आंखों को आसाम दें। एक नेत्र चिकित्सक द्वारा बताई गयी आई ड्रॉप को ही आंखों में डालें। हालांकि इनका उपयोग सिर्फ ज़रूरत पड़ने पर ही करें।