ब्रिटेन में बढ़ रहा भारत से निवेश; इन राज्यों से जा रहा सबसे ज्यादा पैसा
ब्रिटेन में भारत से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) करने वाले राज्यों में महाराष्ट्र शीर्ष पर रहा है। इसके बाद कर्नाटक और दिल्ली का नंबर आता है। कन्फेडरेशन आफ इंडियन इंडस्ट्रीज (CII) और ब्रिटेन में भारत के उच्चायोग की संयुक्त रिपोर्ट में यह बात कही गई है।
लंदन में इसी सप्ताह की शुरुआत में पेश की गई रिपोर्ट से पता चलता है कि 2023 के दौरान भारत से ब्रिटेन में किए गए कुल एफडीआई में महाराष्ट्र में मुख्यालय वाली कंपनियों की 20 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी रही है। इसके बाद 12 प्रतिशत के साथ कर्नाटक और 8.6 प्रतिशत के साथ दिल्ली हैं।
शीर्ष-10 में अन्य राज्यों में 7.1 प्रतिशत के साथ गुजरात, 6.7 प्रतिशत के साथ तमिलनाडु, 6.5 प्रतिशत के साथ तेलंगाना, 5.9 प्रतिशत के साथ उत्तर प्रदेश, 4.5 प्रतिशत के साथ हरियाणा, 3.14 प्रतिशत के साथ बंगाल और 3.05 प्रतिशत के साथ केरल शामिल हैं।
भारत से ब्रिटेन में कुल एफडीआई में शीर्ष-10 राज्यों की 78 प्रतिशत हिस्सेदारी रही है। हालांकि, रिपोर्ट में राशि के लिहाज से कुल एफडीआई की जानकारी नहीं दी गई है।
भारत-ब्रिटेन में बढ़ रहा तालमेल
रिपोर्ट जारी करते हुए ब्रिटेन में भारत के उच्चायुक्त विक्रम दोरईस्वामी ने कहा कि भारत और ब्रिटेन तेजी से बदलते वैश्विक परिदृश्य की जटिलताओं को समझने और उनके समाधान के लिए निरंतर प्रयास कर रहे हैं। भारत-ब्रिटेन गलियारे की पुनर्कल्पना करने वाले हमारे कारोबार सुरक्षित और टिकाऊ भविष्य की समृद्धि के लिए हमारे साझा दृष्टिकोण और आकांक्षा को साकार करेंगे।
रिपोर्ट के अनुसार भारत से सबसे ज्यादा एफपीआइ पाने वाले क्षेत्रों में आइटी और साफ्टवेयर शामिल हैं। सीआइआइ के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि आज ब्रिटेन में परिचालन करने वाली भारतीय कंपनियों ने खुद को ब्रिटिश अर्थव्यवस्था में एकीकृत कर लिया है। भारतीय कंपनियों ने लगभग सभी प्रमुख क्षेत्रों के उद्योगों में अपनी पहचान बना ली है।
रोजगार सृजन से निवेश को बढ़ावा
बनर्जी ने कहा कि भारतीय कंपनियों की नवाचार और सार्थक साझेदारी की क्षमता ने न केवल उनके विकास को गति दी है बल्कि ब्रिटेन और उसके क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था को समृद्ध किया है। इससे रोजगार सृजन के साथ निवेश को बढ़ावा मिला है।
रिपोर्ट के अन्य निष्कर्षों में एक यह भी है कि पिछले वर्ष ब्रिटेन के छात्र वीजा में पांच प्रतिशत की वृद्धि के साथ नए भारतीय छात्रों ने कुल मिलाकर ब्रिटेन के विश्वविद्यालयों में अनुमानित 4.3 अरब पाउंड का योगदान दिया है।