भारत में तीन तरह के होते हैं ट्रैफिक साइन बोर्ड, जानें

भारत में बढ़ती लगातार सड़क हादसों के पीछे का एक कारण रोड पर अधिक वाहनों का होना है। इसके साथ ही हमारे देश में ज्यादा ट्रैफिक नियमों के बारे में जानकारी सही से नहीं होना भी है। बहुत से लोगों को यह भी पता नहीं होता कि भारत की सड़कों पर लगे साइन बोर्ड का मतलब क्या होता है। यहां पर हम आपको ट्रैफिक संकेतों के नाम और उनसे मिलने वाले मैसेज की पूरी जानकारी के बारे में बता रहे है।

पिछले कुछ वर्षों में सड़कों की संख्या और गुणवत्ता में काफी सुधार देखने के लिए मिले हैं। इसके बावजूद सड़कों पर हादसों की संख्या में बढ़ोतरी देखन के लिए मिली है। जिससे लोगों की जान और संपत्ति दोनों की हानि होती है। जो लोगों के जीवन के साथ-साथ राष्ट्र के समग्र विकास में भी बाधा डालती है।

भारत में ट्रैफिक सिग्नलों को मोटे तौर पर तीन भागों में बांटा गया है। जिसमें से पहली कैटेगरी अनिवार्य, दूसरी सावधान और तीसरी सूचनात्मक है।

पहली कैटेगरी

पहली कैटेगरी में आने वाले ट्रैफिक साइन बोर्ड्स अनिवार्य निर्देश या बैन को कम्यूनिकेट करने के लिए होते हैं। ये साइन बोर्ड आमतौर पर व्हाइट बैकग्राउंड और रेड बॉर्डर के साथ राउंड शेप में होते हैं। अगर आप इन संकेतों का पालन नहीं करते हैं, तो आपको संबंधित अधिकारियों के द्वारा दंडित किया जा सकता है। इसमें वन वे, नो एंट्री, स्पीड लिमिट जैसे संकेत शामिल होते हैं।

दूसरी कैटेगरी

इस कैटेगरी में आने आने वाले ट्रैफिर साइन बोर्ड कार या बाइक ड्राइवरों को सड़क पर संभावित खतरों या सुरक्षा खतरों के बारे में चेतावनी देते हैं। जिसे देखते हुए चालकों को गाड़ी संकेतों के मुताबिक जरूरी कदम उठाने या अपने वाहनों की गति को धीमा करने के बारे में बताते हैं। इसमें स्कूल आगे है, काम चल रहा है, रेलवे क्रॉसिंग जैसे संकेत होते हैं।

तीसरी कैटेगरी

तीसरी कैटेगरी में आने वाले ट्रैफिक बोर्ड साइन में ड्राइवरों, साइकिल से चलने वाले और पैदल चलने वाले लोगों के लिए डिजाइन किया गया है। इस कैटेगरी में आने वाले साइन आमतोर पर नीले बैकग्राउंड के साथ सफेद रंग के टेक्सट के होते हैं। वहीं इनका आकार रैक्टेंगुलर होता है। इसमें पेट्रोल पंप, हॉस्पिटल, पार्किंग, रेस्टिंग प्लेस जैसी चीजों के बारे में बताया गया होता है।

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