कारगिल युद्ध के बाद पूर्वी लद्दाख और एलएसी पर भारतीय सेना ने पिनाक राकेट सिस्टम को किया तैनात

कारगिल युद्ध के बाद पूर्वी लद्दाख और एलएसी पर भारतीय सेना ने पिनाक राकेट सिस्टम को तैनात किया है। भारतीय सेना ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर किसी भी खतरे से निपटने के लिए चीन सीमा के पास पिनाक लांचर सिस्टम को तैनात किया है। पिनाक इन्हांस्ड रेंज शुरुआती पिनाक का अडवांस्ड वर्जन है। जल्द ही इसका उत्पादन भी शुरू हो जाएगा। इस सिस्टम के सफल टेस्ट ने सेना को जमीन पर हमले का ज्यादा घातक विकल्प दे दिया है। इस हथियार से सेना दुश्मनों के ठिकानों को ध्वस्त कर सकता है। आखिर क्‍या है पिनाक राकेट सिस्टम। क्‍या हैं इसकी खूब‍ियां।

क्‍या है पिनाक की खूबियां

1- दरअसल, पिनाक एक फ्री फ्लाइट आर्टिलरी राकेट सिस्‍टम है। उन्नत पिनाक राकेट सिस्टम 45 किमी तक की दूरी पर स्थित लक्ष्य को भेदने में सक्षम है। पिनाक राकेट्स को मल्‍टी-बैरल राकेट लांचर से छोड़ा जाता है। लांचर सिर्फ 44 सेकेंड्स में 72 राकेट्स दाग सकता है। भगवान शिव के धनुष ‘पिनाक’ के नाम पर इसका नामकरण हुआ। इसे भारत और पाकिस्‍तान से लगी सीमाओं पर तैनात करने के मकसद से बनाया गया है।

2- पिनाक एक लंबी दूरी का आर्टिलरी सिस्‍टम है। इसे नजदीक से युद्ध होने से पहले दुश्‍मन को टारगेट करने के लिए प्रयोग किया जाता है। इससे छोटी रेंज की आर्टिलरी, इन्‍फैंट्री और हथियारबंद वाहनों को निशाना बनाया जाता है। इस सिस्‍टम के पूर्व भारत के पास राकेट्स दागने के लिए ‘ग्राड’ नाम का रूसी सिस्‍टम हुआ करता था। हालांकि, सेना में अब भी इसका प्रयोग किया जाता है।

3- 1980 के दशक में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने पिनाक राकेट सिस्‍टम को विकसित करना शुरू किया। 1990 के आखिरी दौर में पिनाक मार्क-1 का सफल परीक्षण किया गया। खास बात यह है कि भारत ने करगिल युद्ध के दौरान भी पिनाक का प्रयोग किया था। बाद में पिनाक की कई रेजिमेंट्स बन गईं।

4- पिनाक मूल रूप से मल्‍टी-बैरल राकेट सिस्‍टम है। पिनाक सिस्‍टम की एक बैटरी में छह लान्‍च वेहिकल होते हैं। साथ ही लोडर सिस्टम, रडार और लिंक विद नेटवर्क सिस्‍टम और एक कमांड पोस्‍ट होती है। एक बैटरी के जरिए एक किलोमीटर एरिया को पूरी तरह ध्‍वस्‍त किया जा सकता है। मार्क-I की रेंज करीब 40 किमी है, जबकि मार्क-II से 75 किलोमीटर दूर तक निशाना साधा जा सकता है।

गाइडेड मिसाइल की तरह तैयार किया गया मार्क-II

  • पिनाक राकेट का मार्क-II वर्जन को एक गाइडेड मिसाइल की तरह तैयार किया गया है। इसकी क्षमता को बढ़ाने के लिए इसमें नेविगेशन, कंट्रोल और गाइडेंस सिस्‍टम जोड़ा गया है। इससे इस मिसाइल की मारक क्षमता अत्‍यधिक सटीक है यानी इसका निशाना अचूक होता है। मिसाइल का नेविगेशन सिस्‍टम सीधे इंडियन रीजनल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्‍टम से जोड़ा गया है।आर्टिलरी गन्‍स के मुकाबले में राकेट्स की एक्‍युरेसी कम होती है। हालांकि मार्क-II में गाइडेंस और नेविगेशन सिस्‍टम लगने से वह कमी पूरी हो गई है। इसके साथ ही युद्ध के समय राकेट लान्‍चर्स को ‘शूट ऐंड स्‍कूट’ की रणनीति अपनानी पड़ती है। यानी एक बार टारगेट पर फायर करने के बाद वहां से हट जाना होता है ताकि वे खुद निशाना न बन जाएं। लान्‍चर वेहिकल की मैनुव‍रेबिलिटी बहुत अच्‍छी होनी चाहिए। पिनाक इस पैमाने पर खरा उतरता है।

Related Articles

Back to top button
T20: भारत का क्लीन स्वीप जानिये कितने खतरनाक हैं कबूतर। शतपावली: स्वस्थ रहने का एक आसान उपाय भारतीय मौसम की ALERT कलर कोडिंग In Uttar Pradesh Call in Emergency