सौरमंडल के रहस्यों को जानने की दिशा में विज्ञानियों ने ये नई उपलब्धि की हासिल, पढ़े पूरी खबर

 सौरमंडल के रहस्यों को जानने की दिशा में विज्ञानियों ने नई उपलब्धि हासिल कर ली है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के पार्कर यान ने सूरज का दामन छू लिया है। यान ने 28 अप्रैल को सूर्य के वातावरण के बाहरी हिस्से यानी कोरोना में प्रवेश किया था। आंकड़ों के विश्लेषण के बाद अब नासा ने इसकी जानकारी सार्वजनिक की है।सूर्य हमारे सौरमंडल में ऊर्जा का स्रोत है, लेकिन अब तक विज्ञानियों को इसके बारे में बहुत ज्यादा कुछ नहीं पता चल पाया है। सूर्य की सतह की चमक और उसके चारों ओर बना चुंबकीय क्षेत्र विज्ञानियों की पहुंच को सीमित कर देता है। इन्हीं चुनौतियों को पार करते हुए पार्कर यान उसके नजदीक पहुंचने का प्रयास कर रहा है। सूरज के कोरोना में पहुंचने वाली यह पहली मानव निर्मित वस्तु है। अपने सफर के दौरान यान कई बार कोरोना से होते हुए गुजरेगा। इस क्रम में 2025 में यान सूर्य से 61.6 लाख किलोमीटर की दूरी तक पहुंचेगा। यह सूर्य से इसकी सर्वाधिक नजदीकी होगी। यान से मिली जानकारियां कई रहस्यों से पर्दा उठाएंगी।पार्कर सोलर प्रोब इस साल की शुरुआत में सूर्य को ‘स्पर्श’ करने से पहले 2018 में पृथ्वी लांच हुआ था। नासा ने इस प्रोब को सूरज का अध्ययन करने के लिए 12 अगस्त 2018 को लांच किया था।

जानें क्या है पार्कर सोलर प्रोब का लक्ष्य?

यह नासा के ‘लिविंग विद अ स्टार’ कार्यक्रम का हिस्सा है। इसके जरिए अंतरिक्ष एजेंसी ने सूर्य और पृथ्वी के बीच के सिस्टम के अलग-अलग पहलुओं को समझने और इससे जुड़ी जानकारी इकट्ठा करने का लक्ष्य रखा है। नासा का कहना है कि पार्कर प्रोब से जो भी जानकारी मिलेगी, उससे सूर्य के बारे में हमारी समझ और विकसित होगी। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी के वैज्ञानिकों ने बताया कि नासा का यह अंतरिक्ष यान पहले से कहीं ज्यादा सूरज के करीब चला गया है, जो कोरोना के नाम से जाने जाने वाले वातावरण में प्रवेश कर रहा है। पृथ्वी से 15 करोड़ किमी की यात्रा के बाद मंगलवार को अमेरिकी भूभौतिकीय संघ की बैठक में इसके सूर्य की बाहरी परत के साथ पहले सफल संपर्क की घोषणा की गई।

कैसे संभव हुआ सूर्य को छूना?

इस ऐतिहासिक उपलब्धि को हासिल करने के पीछे वैज्ञानिकों और इंजीनियर्स की एक बड़ी टीम का हाथ है, जिसमें हार्वर्ड और स्मिथसोनियन के सेंटर फार एस्ट्रोफिजिक्स के सदस्य भी शामिल रहे। यह टीम प्रोब में लगे एक सबसे महत्‍वपूर्ण उपकरण ‘सोलर प्रोब कप’ के निर्माण और उसकी निगरानी में जुटी है। यह कप ही वह उपकरण है, जोकि सूर्य के वायुमंडल से कणों को इकट्ठा करने का काम कर रहा है। इससे वैज्ञानिकों को यह समझने में आसानी हुई कि स्पेसक्राफ्ट सूर्य के वायुमंडल की बाहरी सतह ‘कोरोना’ तक पहुंचने में सफल हो गया है।

स्पेसक्राफ्ट के कप में जो डाटा इकट्ठा किया गया, उससे सामने आया है कि अप्रैल 28 को पार्कर प्रोब ने सूर्य के वायुमंडल की बाहरी सतह को तीन बार पार किया। एक बार तो कम से कम पांच घंटे के लिए। सोलर प्रोब की इस उपलब्धि को बताने वाली एक चिट्ठी ‘फिजिकल रिव्यू लेटर’ नाम के जर्नल में भी प्रकाशित हुई। इसके एयरक्राफ्ट को इंजीनियरिंग का बेहद खास नमूना बताया गया। 

आखिर 11 लाख डिग्री सेल्सियस को इसे कैसे पार कर पाया अंतरिक्ष यान?

सूर्य के वायुमंडल जिसे कोरोना भी कहा जाता है का तापमान लगभग 11 लाख डिग्री सेल्सियस (करीब 20 लाख डिग्री फारहेनहाइट) है। इतनी गर्मी कुछ ही सेकंड्स में पृथ्वी पर पाए जाने वाले सभी पदार्थों को पिघला सकती है। इसलिए वैज्ञानिकों ने स्पेसक्राफ्ट में खास तकनीक वाली हीट शील्ड्स लगाई हैं, जो कि लाखों डिग्री के तापमान में भी अंतरिक्ष यान को सूर्य के ताप से बचाने का काम करती हैं। 

इस बारे में 14 दिसंबर को नासा ने एक प्रेस कांन्फ्रेंस कर बताया कि उनका यान सूरज के कोरोना में प्रवेश करने में सफलता हासिल कर चुका है यानी पार्कर सोलर प्रोब अब कोरोना के ज्यादा अंदर पहुंचा है। फिलहाल सूरज की सतह से उसकी दूरी करीब 79 लाख किलोमीटर है, लेकिन सबसे नजदीक पहुंचने में पार्कर यान को अभी चार साल का इंतजार करना होगा।

Related Articles

Back to top button